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1800-102-2727कल्लू कुम्हार की उनाकोटी में लेखक विक्रम सिंह ने अपनी यात्रा का वर्णन किया है। एक बार काम के सिलसिले में लेखक त्रिपुरा गए थे, वहाँ अपने कार्यक्रम के लिए उन्होंने अनेक स्थानों की यात्रा की जिसमें लेखक ने इस स्थान का विशेष रूप से वर्णन किया है और बताया है कि वहाँ शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। त्रिपुरा में कल्लू नाम का एक कुम्हार रहता था वह शिव जी के साथ रहना चाहता था, भगवान शिव ने शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव जी की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी।
कल्लू जाने के लिए बहुत उत्सुक हो गया वह तुरंत मूर्तियां बनाने लगा परन्तु एक मूर्ति रह गयी और सुबह हो गई इसलिए वह शिव जी के साथ नहीं जा सका। परन्तु मूर्तियों के वहीं रह जाने से उस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा। उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम, लेखक को यह स्थान बहुत रमणीय लगा। इस स्थान पर लेखक ने अपने कार्यक्रम की शूटिंग भी की इसके अतिरिक्त लेखक ने त्रिपुरा की संस्कृति, सभ्यता, धर्म, वहाँ का जन-जीवन और जनजातियों के बारे में बताया है। त्रिपुरा बहुत धार्मिक समाज का उदाहरण है, वहाँ पर लगातार बाहरी लोग आते रहे हैं, त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियां हैं।
वहाँ विश्व के चारों बड़े धर्म का प्रतिनिधित्व है। उन्नीस में से दो कबीले महायान बौद्ध हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे म्यांमार से आये थे। उन्होंने अगरतला के बाहर एक सुन्दर बौद्ध मंदिर का निर्माण किया है। इस मंदिर की मुख्य बुद्ध प्रतिमा 1930 में रंगून से लाई गयी थी। यहाँ टीलियामुरा के कस्बे में लेखक का परिचय समाज सेविका मंजू ऋषि दास और लोक गायक हेमंत कुमार जमातिया से हुई। त्रिपुरा में अगर बत्ती बनाना, बाँस के खिलौने बनाना और गले में पहनने की मालायें बनाना आदि घरेलू उद्योग चलते हैं।
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