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1800-102-2727दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में वल्लभ भाई पटेल सात मार्च को रास पहुँचे थे। लोगों के आग्रह पर पटेल ने संक्षिप्त भाषण दिया। इसी बीच मजिस्ट्रेट ने निषेधाज्ञा लागू कर दी और पटेल को गिरफ़्तार कर लिया गया। यह गिरफ़्तारी शिलिडी के आदेश पर हुई थी जिसे पटेल ने पिछले आंदोलन के समय अहमदाबाद से भगा दिया था। पटेल को बोरसद की अदालत में लाया गया जहां उन्हें 500 रूपए जुर्माने के साथ तीन महिनें की जेल हुई। पटेल को अहमदाबाद से साबरमती जेल लाया गया, साबरमती आश्रम में गांधी को पटेल की गिरफ़्तारी, सजा और उन्हें जेल ले जाने की सूचना मिली जिससे वे बहुत क्षुब्ध हुए।
बोरसद से जेल का रास्ता साबरमती आश्रम से होकर जाता था, सारे आश्रमवासी इंतज़ार कर रहे थे। पटेल को गिरफ़्तार करके ले जाने वाली मोटर रुकी और पटेल सबसे मिले। तय दिन गांधी जी नमक बनाने के लिए आश्रम से निकल पड़े, रास में उनका भव्य स्वागत हुआ वहाँ के दरबारी लोग उनके साथ मिल गए।
सत्याग्रही शाम छह बजे रास से चले और आठ बजे कनकापुरा पहुँचे। कनकापुरा से दांडी जाने के लिए महिसागर नदी पार करनी थी। तय हुआ कि नदी को आधी रात के समय समुद्र का पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम-से-कम चलना पड़े। रात साढ़े दस बजे भोजन के बाद सत्याग्रही नदी की ओर चल पड़े, अँधेरी रात में गांधी जी लगभग चार किलोमीटर दलदली जमीन पर चले और नदी के तट पर एक कुटिया में आराम किया।
आधी रात को मही नदी का किनारा भरा था, लोगों ने दिये द्वारा उस रात को जगमग रात बना दिया था। गांधीजी घुटने भर पानी में चलकर नाव पर चढ़े, दोनों किनारों पर लोग रात भर दिये लेकर खड़े रहे चूंकि कई सत्याग्रहियों को नदी पार करनी थी।
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