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1800-102-2727इन पंक्तियों में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ईश्वर से कह रहे हैं कि दुखों से मुझे दूर रखें ऐसी आपसे मैं प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ, बल्कि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे उन दुखों को झेलने की शक्ति दें। उन कष्ट के समय में मैं भयभीत ना हो जाऊँ, वे दुःख के समय में ईश्वर से सांत्वना नहीं बल्कि उन दुखों पर विजय पाने का आत्मविश्वास और हौसला चाहते हैं। वे कहते हैं कि कोई कहीं कष्ट में सहायता करने वाला भी नहीं मिले फिर भी उनका पुरुषार्थ ना डगमगाए। अगर उन्हें इस संसार में हानि भी उठानी पड़े, कोई लाभ प्राप्त ना हो या धोखा ही खाना पड़े तब भी उनका मन दुखी ना हो कभी भी उनके मन की शक्ति का नाश ना हो।
कवि कहते हैं कि हे भगवन्! मेरी यह प्रार्थना नहीं है कि आप प्रतिदिन मुझे भय से छुटकारा दिलाएं। आप मुझे केवल रोग रहित यानी स्वस्थ रखें ताकि मैं अपने बल और शक्ति के सहारे इस संसार रूपी भवसागर को पार कर सकूँ। मैं यह नहीं चाहता कि आप मेरे कष्टों का भार कम करें और ढाँढस बँधायें, आप मुझे निर्भयता सिखायें ताकि मैं सभी मुसीबतों का डटकर सामना कर सकूँ। सुख के दिनों में भी मैं एक क्षण के लिए भी आपको ना भूलूँ, दुःखों से भरी रात में जब सारा संसार मुझे धोखा दे यानी मदद ना करें फिर भी मेरे मन में आपके प्रति संदेह ना हो ऐसी शक्ति मुझमें भरें।
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