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1800-102-2727कवि कहते हैं कि मनुष्य को ज्ञान होना चाहिए की वह मरणशील है इसलिए उसे मृत्यु से डरना नहीं चाहिए। परन्तु उसे ऐसी मृत्यु को प्राप्त होना चाहिए जिससे सभी लोग मृत्यु के बाद भी याद करें। कवि के अनुसार ऐसे व्यक्ति का जीना या मरना व्यर्थ है जो खुद के लिए जीता हो, ऐसे व्यक्ति पशु के समान है। असल मनुष्य वह है जो दूसरों की भलाई करे, ऐसे व्यक्ति को लोग मृत्यु के बाद भी याद रखते हैं।
कवि के अनुसार उदार व्यक्तियों की उदारशीलता को पुस्तकों, इतिहास में स्थान देकर उनका बखान किया जाता है। असल मनुष्य वह है जो दूसरों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दें। कवि ने पौराणिक कथाओं का उदाहरण दिया है। राजा उशीनर ने कबूतर की जान बचाने के लिए अपने शरीर का मांस बहेलिए को दे दिया और वीर कर्ण ने अपना शारीरिक रक्षा कवच दान कर दिया। नश्वर शरीर के लिए मनुष्य को भयभीत नहीं होना चाहिए।
कवि ने सहानुभूति, उपकार और करुणा की भावना को सबसे बड़ी पूंजी बताया है। बुद्ध ने करुणावश पुरानी परंपराओं को तोड़ा जो कि दुनिया की भलाई के लिए था इसलिए लोग आज भी उन्हें पूजते हैं। उदार व्यक्ति वह है जो दूसरों की भलाई करे। ईश्वर का हाथ सभी के सर पर है, प्रभु के रहते भी जो व्याकुल है वह बड़ा भाग्यहीन है।
कवि के अनुसार अनंत आकाश में असंख्य देवता मौजूद हैं जो अपने हाथ बढ़ाकर परोपकारी और दयालु मनुष्यों के स्वागत के लिए खड़े हैं। सभी मनुष्य एक दूसरे के भाई-बंधू हैं। हर मनुष्य को दूसरे की मदद को तत्पर रहना चाहिए। मनुष्य को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका आपसी सामंजस्य न घटे और भेदभाव न बढ़े। जब हम एक दूसरे के दुखों को दूर करते हुए आगे बढ़ेंगे तभी हमारी समर्थता सिद्ध होगी और समस्त समाज की भी उन्नति होगी।
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