Call Now
1800-102-2727लेखक ने बताया है की भारत में स्वतंत्रता दिवस पहली बार 26 जनवरी 1930 में मनाया गया था, उस साल कोलकाता की स्वतंत्रता दिवस में ज्यादा हिस्सेदारी नहीं थी। परन्तु इस साल पूरी तैयारियां की गई थीं केवल प्रचार में दो हजार रुपए खर्च किये गए थे, कलकत्ता के हर भाग में झंडे लगाए गए थे।
मॉन्यूमेंट के नीचे जहाँ सभा होने वाली थी, उस जगह को पुलिस ने सुबह छः बजे ही घेर लिया फिर भी कई जगह सुबह में ही झंडा फहराया गया। तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाजार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह को झंडा फहराने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। वहाँ मारपीट भी हुई जिसमें दो चार लोगों के सिर फट गए तथा गुजरात सेविका संघ की ओर से निकाले गए जुलूस में कई लड़कियों को गिरफ्तार किया गया।
मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने 11 बजे झंडा फहराया, स्त्री समाज भी अपना जुलूस निकालने और ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रहा था। तीन बजे से ही मैदान में भीड़ जमा होने लगी और लोग टोलियां बनाकर घूमने लगे।
ठीक चार बजे सुभाष चन्द्र बोस जुलूस के साथ आए, भीड़ ज्यादा होने की वजह से पुलिस उन्हें रोक नहीं पायी। पुलिस ने लाठियां चलायीं, कई लोग घायल हुए और सुभाष बाबू पर भी लाठियां पड़ीं। उधर स्त्रियाँ मॉन्यूमेंट की सीढ़ियाँ चढ़कर झंडा फहरा रही थीं, वहीं सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और लॉकअप भेज दिया गया।
कुछ देर बाद वहाँ से स्त्रियाँ जुलूस बनाकर चलीं और साथ में बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी। स्त्रियों का एक भाग आगे विमला देवी के नेतृत्व में आगे बढ़ा जिसे बहू बाजार के मोड़ पर रोक दिया गया और वे वहीं बैठ गईं। कलकत्ता में इस दिन तक एक साथ इतनी ज्यादा गिरफ्तारी कभी नहीं हुई थी करीब दो-सौ लोग घायल हुए थे, वो दिन कलकत्ता वासियों के लिए अभूतपूर्व था।
Talk to our expert