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1800-102-2727यह पाठ मधु कांकरिया द्वारा लिखा गया एक यात्रा वृत्तांत है, जिसमें लेखिका ने सिक्किम की राजधानी गंगटोक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का वर्णन किया है जो शहरों की भागम-भाग भरी जिंदगी से दूर है।
लेखिका के गाइड ने उन्हें बताया कि जब किसी बौद्ध मतावलंबी की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं, कई बार नए शुभ कार्य की शुरुआत में भी रंगीन पताकाएँ फहरा दी जाती हैं । आगे चलकर मधु जी को एक कुटिया के भीतर घूमता हुआ चक्र दिखाई दिया जिसे धर्म चक्र या प्रेयर व्हील कहा जाता है, नार्गे ने बताया कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल पर जीप रुकती है। इसके बाद थोड़ी देर के लिए जीप 'थिंक ग्रीन लिखे शब्दों के पास रुकी। कुछ औरतों की पीठ पर बँधी टोकरियों में बच्चे थे इतने सुंदर वातावरण में भूख, गरीबी और मौत के निर्मम दृश्य ने लेखिका को सहमा दिया।
आगे चलने पर रास्ते में बहुत सारे पहाड़ी स्कूली बच्चे मिलते हैं, लेखिका को ये पता चलता है कि ये बच्चे स्कूल से लौटकर अपनी माँ के साथ काम करते हैं। यहाँ का जीवन बहुत कठोर है। शाम के समय जीप चाय बागानों में से गुजर रही थी, बागानों में कुछ युवतियाँ सिक्किमी परिधान पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थीं। यूमथांग पहुंचने से पहले वे लोग लायुंग रूके, लेखिका को वहाँ बर्फ़ देखने की इच्छा थी परंतु वहाँ बर्फ कहीं भी नहीं थी। उनको बताया गया कि कटाओं में बर्फ़ देखने को मिल सकती है, कटाओ पहुँचने पर हल्की-हल्की बर्फ पड़ने लगी थी, लेखिका वहाँ के वातावरण को अपनी साँसों में समा लेना चाहती थीं। थोड़ा आगे जाने पर फ़ौजी छावनियाँ दिखाई दी चूँकि यह बॉर्डर एरिया था और थोड़ी ही दूर पर चीन की सीमा थी। लेखिका फ़ौजियों को देखकर उदास हो गई, यूमथांग वापस आकर उन लोगों को वहाँ सब फीका-फीका लग रहा था।
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