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1800-102-2727किसी साधु की जाति या धर्म से किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके ज्ञान से मतलब होना चाहिए। जैसे मोल-भाव तलवार का करना चाहिए ना कि उसकी म्यान का। युद्ध में तलवार की उपयोगिता होती है, म्यान चाहे लाख रुपये की हो या एक रुपये की युद्ध में उसकी कोई कीमत नहीं होती ।
कोई यदि आपको गाली या बद्दुआ दे तो उसे उलटना नहीं चाहिए, क्योंकि यदि किसी की गाली आप स्वीकार नहीं करेंगे तो वह खुद-ब-खुद वापस गाली देने वाले के पास चली जायेगी। यदि आपने उलट के गाली दे दी तो इसका मतलब यह है कि आपने उसकी गाली भी ले ली। कोई यदि आपसे बुरी बातें कहता है तो उसे चुपचाप सुन लेने में ही भलाई है, बहस को बढ़ाने से मन का क्लेश बढ़ता है।
कबीर दास को ढोंग से सख्त नफरत थी । जो आदमी माला फेर कर मुंह में मंत्र पढ़ता है वह सच्ची पूजा नहीं करता है। क्योंकि माला फेरने के साथ मन भी दसों दिशाओं में भटकता हैं।
कोई भी छोटी से छोटी चीज यदि आपके पाँव के नीचे भी हो तो भी उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि तिनका भी यदि आँख में पड़ जाए तो बहुत तेज दर्द देता है। हर छोटी से छोटी चीज का अपना महत्व होता है और हमें उस महत्व को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।
यदि आपका मन शांत रहता है तो आपकी किसी से कभी भी दुश्मनी नहीं हो सकती है। यदि आप अपने अहंकार को त्याग दें तो हर आदमी आपको प्रेम और सद्भावना से ही देखेगा।
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