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1800-102-2727इस पाठ में कवयित्री एक छोटी-सी चिड़िया के माध्यम से यह बताती है कि जब तक वह घोंसला बनाने का प्रयास करेगी, तब तक वह अपनी इस क्रिया में लगी रहेगी जब तक वह बन नहीं जाएगा। चिड़िया अपने घोंसले बनाने में व्यस्त है और कोई गिरती हुई पत्तियों को थामने के लिए लगा हुआ है । जब तक बच्चों को नानी-दादी अपनी पुरानी कहानियाँ, काल्पनिक कहानियाँ सुनाती रहेंगी तथा जब तक यात्रियों को पहुँचाने वाली रेल आती रहेगी, तब तक कठिन समय नहीं आ सकता। अर्थात जितनी भी क्रियाएँ सामान्य रूप से हो रही हैं, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि इस दुनिया में जीवन में कठिन समय की शुरुआत हो गई है। चिड़िया अपना काम कर रही है उसका काम है घोंसला बनाना और अंडे देना , अपने बच्चों को सहेज कर रखना। नानी-दादी का काम है अपने बच्चों को कहानियाँ सुनाना जिनसे उन्हें कुछ सीख मिले और रेल का काम है यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुँचाना।
वे मानती हैं की जब तक मानव अपनी सहजता नहीं छोड़ता है, अपना हौसला नहीं छोड़ता है, तब तक कठिन समय नहीं आ सकता। यह वास्तव में ही सच बात है की व्यक्ति में जब तक हिम्मत है, साहस है, हौसला है और उसमें काम करने की शक्ति है और उसका अपना लक्ष्य है जिस पर वह केंद्रित है तब तक यह कहा नहीं जा सकता की कठिन समय की शुरुआत हो गई है। जब व्यक्ति हौसला छोड़ देता है, हिम्मत का साथ छोड़ देता है तभी कठिन समय की शुरुआत होती है।
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