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1800-102-2727इस कविता में "दिनकर" जी बताते है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं जो एक विशाल देश का सन्देश लेकर दूसरे विशाल देश को जाते हैं। उनके लाये पत्र हम नहीं समझ पाते मगर पेड़-पौधे, जल और पहाड़ पढ़ लेते हैं। यहाँ कवि ने बादलों को हवा में और पक्षियों को पंखों पर तैरते दिखाया है। वे कहते हैं कि एक देश की सुगंधित हवा दूसरे देश पक्षियों के पंखों द्वारा पहुँचती है। इसी प्रकार बादलों के द्वारा एक देश का भाप दूसरे देश में वर्षा बनकर गिरता है।
पक्षी, बादल, हवा इन्हें कोई भी बाँधकर नहीं रख सकता और यह एक महादेश से दूसरे महादेश ऐसे ही एक जगह से दूसरे जगह आते-जाते रहते हैं और एक तरह से वहाँ का संदेश लेकर आते हैं।
हम तो उनकी भाषा को नहीं समझ सकते क्योंकि एक देश से दूसरे देश में बहती हुई हवा सिर्फ महसूस की जा सकती है। हम उनके द्वारा लाये गए संदेशों को समझ नहीं पाते हैं। उनके द्वारा लाए गए यह जो पत्र है पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ सब अपने-अपने तरीके से कहकर सुनाते है। जैसे एक देश का पानी दरिया बनकर बहता है तो दूसरे देश तक भी पहुँचता है ऐसी ही ऊँचे-ऊँचे पहाड़ जो प्रकृति हैं, उन्हें अगर हम देखें तो दूर से ही नजर आते हैं ऐसा लगता है जैसे झाँक रहे हैं। एक देश से दूसरे देश की ओर इसी तरह से पेड़, पौधे, जब फूलों से भर जाते हैं उनमें एक नई महक पैदा हो जाती है।
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