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1800-102-2727लेखक ‘पत्र’ की महत्ता बताते है की आज का युग वैज्ञानिक युग है। मनुष्य के पास अनेक संचार के साधन हैं , फिर भी मनुष्य पत्रों का सहारा जरूर लेता है। वे कहते हैं इनके नाम भी भाषा के अनुसार अलग-अलग हैं आज भी कई लोग अपने पुरखों के पत्र सहेज कर रखते हैं। हमारे सैनिक अपने घर वालों के पत्रों का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं।
उन्होंने यह बताते हुए कहा है कि आज भी सिर्फ भारत में प्रतिदिन साढ़े चार करोड़ पत्र डाक में डाले जाते हैं। इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया तथा कई पत्र-लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई। लेखक का मानना है कि इस संसार में कोई ऐसा मनुष्य नहीं होगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा हो।
पत्र सिर्फ एक संचार माध्यम ही नहीं है बल्कि मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं। मोबाइल से प्राप्त एसएमएस तो लोग मिटा देते हैं परन्तु पत्र हमेशा सहेज कर रखते हैं। महात्मा गांधी के पास पूरे विश्व से पत्र आते थे और वे उनका जवाब तुरंत लिख देते थे।
भारत में पत्र व्यवहार की परंपरा बहुत पुरानी है। सरकारी की अपेक्षा घरेलू पत्र मुख्य भूमिका निभाते हैं क्योंकि ये आम लोगों को जोड़ने का काम करते हैं। चाहे गरीब हो या अमीर सभी को अपने प्रियजनों से प्राप्त पत्र का इंतजार रहता है। गरीब बस्ती में तो मनीऑर्डर लेकर आने वाले डाकिए को लोग देवता समझते हैं। अंत में वे कहते हैं कि अत्यधिक संचार साधनों के होने के बावजूद भी पत्रों की अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
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