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1800-102-2727यह कहानी एक गौरैया के जोड़े की है । उन दोनों में बहुत प्रेम था । एक-दूसरे के बगैर वे कोई भी काम नहीं करते थे। मादा गौरैया को टोपी पहनने का मन करता है, नर गौरैया कहता है कि हमें वस्त्रों की कोई आवश्यकता नहीं हम तो ऐसे ही ठीक हैं। मगर मादा गौरैया अपनी जिद्द की पक्की थी, उसने निश्चय कर लिया था कि वह टोपी बनवाकर ही रहेगी।
एक दिन उसे रूई का टुकड़ा मिला । जिसे पहले वह धुनिया के पास ले जा कर धुनवाती है, फिर सूत कतवाने के लिए कोरी के पास ले जाती है। गौरैया धागा बनवाने के बाद बुनकर के पास जाती है तथा अपना कपड़ा लेकर दर्जी के पास जाती है और उससे दो टोपियाँ बनवा लेती है।
चिड़िया राजा के महल पहुँची, तो राजा छत पर मालिश करवा रहा था। चिड़िया ने राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, राजा ने क्रोध आने पर सैनिकों को चिड़िया को मारने को कहा । पर फिर राजा के कहने पर उन्होंने उसकी टोपी ले ली। राजा हैरान था की इतनी सुन्दर टोपी आखिर किसने बनाई..? दर्ज़ी, बुनकर, कोरी व धुनिया को बुलाने पर वे बताते हैं कि मजदूरी अच्छी मिलने की वजह से उन्होंने इतना अच्छा काम किया।
चिड़िया ने राजा को कहा कि उसने सारा कार्य पूरी कीमत चुकाकर करवाया है ।वह राजा पर आरोप लगाती है कि राजा कंगाल है। राजा को अपनी पोल खुलने का डर हो जाता है इसलिए वह चिड़िया की टोपी वापस कर देता है। चिड़िया राजा को डरपोक-डरपोक कहते हुए निकल जाती है।
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