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1800-102-2727“पानी की कहानी” में एक ओस की बूंद अपनी रक्षा के लिए बेर के पेड़ पर से लेखक की हथेली पर कूद जाती है और उसे अपनी कहानी सुनाना शुरू करती है। ओस की बूँद कहती है कि अरबों वर्ष पहले ‘हाइड्रोजन’ और ’आक्सीजन’ के मिलने से उसका जन्म हुआ। जब पृथ्वी का तापमान घटा तो वह बर्फ के रूप में बदल गई और जब बर्फ का सामना गर्म धारा से हुआ तो वह पिघल कर समुद्र के पानी में मिल गई।
समुद्र की गहराई की यात्रा करने की इच्छा ने उसे समुद्र की गहराई में ले लिया। वहाँ से वह ऊपर ना आ सकी और वह वही वर्षों तक समुद्र की चट्टानों से होते हुए जमीन के सहारे ज्वालामुखी तक पहुँच गई। वहाँ से उसे तेज गति के साथ भाप की स्थिति में आकाश में भेज दिया गया और वहाँ बारिश के रूप में पहाड़ पर आ गिरी। पहाड़ पर से अपने साथियों के साथ तेजी से एक ऊँची जगह से नीचे कारखाने के नल में गिर गई ।
कारखाने के नलों में कई दिनों तक फंसे रहने के बाद भाग्य के साथ देने पर एक टूटे नल से बाहर निकल कर वापिस भूमि द्वारा सोख लेने पर बेर के पेड़ तक पहुँच गई। बेर के पेड़ की जड़ों के रोएँ द्वारा खींच लेने पर कई दिनों तक वहीं फंसे रहने पर पत्तों के छोटे-छोटे छेदों के द्वारा बाहर निकल गई। रात होने के कारण वहीं सुबह का इंतज़ार करती रही और सुबह लेखक को देख कर अपनी रक्षा की खातिर उसकी हथेली पर कूद पड़ी और सूरज के निकलते ही वापिस भाप बन कर उड़ गई।
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