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1800-102-2727सूरदास जी कृष्ण के अनन्य उपासक थे और भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि भी माने जाते है। उनकी अधिकतर कविताएं कृष्ण जी की अजब-गजब बाल-लीलाओं पर आधारित हैं। सूरदास जी ने कृष्ण का अपनी वात्सल्यमयी माता यशोदा से रूठने-मनाने व बाल-सखाओं संग खेलने तथा गोपियों के साथ उनकी मस्ती भरी शरारतें और फिर गोपियों का माता यशोदा से शिकायतें लेकर आने के बारे में बड़ा ही खूबसूरत वर्णन किया हैं। सूरदास जी के पदों में वात्सल्य रस की प्रधानता देखने को मिलती हैं।
“सूरदास के पद” पाठ के पहले पद में कृष्ण शिकायत भरे लिहाज में अपनी माता से कहते है कि वह उनको रोज दूध पिलाती है । उनके बालों की खूब देखभाल करती हैं। रोज धोकर उनको सँवारती भी हैं। फिर भी उनकी चोटी (सिर के बाल) उनके बड़े भाई बलराम की तरह लंबे क्यों नहीं हो रहे हैं।
और दूसरे पद में एक गोपी माँ यशोदा से कृष्ण की शिकायत करते हुए कहती है कि वह प्रतिदिन उसके घर में चुपचाप आकर सारा मक्खन चोरी करके खा जाता है, बाकी बचा जमीन में गिरा कर उसे बर्बाद कर देता है। इतना सब नुकसान करने के बाद भी तुम उसे कभी डाँटती क्यों नहीं हो ? क्या तुमने किसी अनोखे बच्चे को जन्म दे रखा है ?
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