Call Now
1800-102-2727जब सिनेमा ने बोलना सीखा निबंध में लेखक प्रदीप तिवारी ने भारत की पहली फिल्म आलम आरा का वर्णन किया है। 14 मार्च 1931 को यह बोलती फिल्म प्रदर्शित की गयी थी, आलम आरा ने बोलती फिल्मों का नया दौर शुरू कर दिया था।
आलम आरा को बनाने वाले थे - अर्देशियर एम ईरानी । उन्होंने 1929 में हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म शो बोट देखी थी। मूक फिल्मों की शूटिंग अधिकतर दिन के प्रकाश में की जाती थी , लेकिन इस फिल्म की शूटिंग में रात में कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था की गई थी।
फिल्म में हिंदी-उर्दू के मेल वाली हिन्दुस्तानी भाषा को लोकप्रिय बनाया । इसमें गीत, संगीत एवं नृत्य की अनोखी प्रस्तुति थी। फिल्म की नायिका जुबैदा और नायक विट्ठल थे । विट्ठल को उर्दू बोलने में मुश्किलें आती थी। पहले उनको नायक के रूप में लिया गया था, फिर बाद में उन्हें हटा दिया गया। इसके लिए उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना को वकील नियुक्त किया , जिसमें विजयी होकर विट्ठल भारत की पहली वाक फिल्मों के नायक बने।
आलम आरा पहली बार मैजेस्टिक सिनेमा घर में प्रदर्शित हुई थी। फिल्म को देखने के लिए इतनी भीड़ आती थी कि पुलिस के लिए नियंत्रण करना आसान नहीं था। यह दर्शकों के लिए अनोखा अनुभव था, फिल्म 10 हज़ार फूट लम्बी थी और इसे चार महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया था। हमारे दैनिक और सार्वजनिक जीवन का प्रतिदिन फिल्मों में बेहतर होकर उभरने लगी। आलम आरा भारत के अलावा श्रीलंका और पश्चिम एशिया में भी पसंद की गयी थी।
Talk to our expert