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1800-102-2727बिगड़े बच्चों की शरारतों से परेशान होकर घर के बड़े फैसला करते हैं कि घर के नौकरों को निकाल दिया जाए। बच्चों को भी ध्यान आया कि उन्हें कुछ काम करना चाहिए। सबसे पहले उन्हें स्वयं पानी पीने का ख्याल आया, पानी पीने के लिए सुराहियों, मटकों के पास ही घमासान शुरू हो गया, सब बच्चे पानी से गीले हो गए। बच्चों को तनख्वाह का प्रलोभन भी दिया। बच्चों ने फर्शी दरी उठा कर झटकना शुरू कर दिया इससे सारा घर धूल से भर गया।
अब उन्होंने आँगन में झाडू लगाने का फैसला किया । अचानक उन्हें ध्यान आया कि पानी छिडक देने से धूल कम हो जाएगी। उन्होंने तुरंत दरी पर पानी छिडक़ा । पानी और धूल के मिलने से दरी कीचड़ में सन चुकी थी। अब बच्चों को पौधों में पानी देने का ध्यान आया , धक्का-मुक्की और मारपीट करने से बच्चे कीचड़ में लथपथ हो गए। शाम को मुर्गियों को दड़बे में लाने के लिए सभी बच्चों ने बाँस, छड़ी उठा ली, इस बीच भेड़ें सूप के दाने को भूलकर तरकारी वाली की टोकरी पर टूट पड़ी।
अब उन्होंने भैंसों का दूध दुहने का विचार बनाया। कुछ दूध जमीन पर कुछ कपड़ों पर तथा दो-चार धाराएं बर्तन में गिरी, बाकी उसका बच्चा पी गया।
सारे घर में तूफान-सा उठ खड़ा हुआ, पूरे घर में मुर्गियाँ, भेड़ें, बाल्टियाँ, लोटे, कटोरे और बच्चे थे। बच्चे, मुर्गियों और भेड़ों को बाहर भेजा गया तरकारी वाली को उसका नुकसान पूरा किया गया। घर की ऐसी हालत देखकर अम्मा ने मायके जाने की धमकी दी। बच्चों ने भी सोच लिया कि अब वे हिलकर पानी भी नहीं पीएंगे।
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