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1800-102-2727“उठ किसान ओ” कविता को “त्रिलोचन” जी द्वारा रचित किया गया है । कविता में कवि किसानों को जागने के लिए कह रहे हैं । कविता में कवि किसानों के सपनों को साकार करने वाली वर्षा की बूंद की बात कर रहे हैं, जो बरसकर गर्मी से राहत दिया करती है। कवि किसानों को बारिश के महत्व के बारे में बता रहे हैं और वसंत ऋतु के लिए तैयार होने के लिए कह रहे हैं । यही बूँदे सुगंधित करने वाली वसंत ऋतु के आगमन का संदेशक भी हैं।
इस समय तरह-तरह के फूल खिलते हैं। कवि कहते हैं कि बादल हरे-भरे सावन और किसान दोनों के साथी हैं, बादल के बरसने से धरती को पानी मिलता है। किसानों के प्राण फसलों में बसे होते हैं इसलिए बादलों द्वारा लाया गया जल अति महत्वपूर्ण है।उमड़ते धुमड़ते काले बादलों की सुंदरता वाकई देखने लायक है। ये किसान के जीवन में नये राग का संचार करने आये हैं एवम उनके खेतों में फिर से अच्छी फसल का संकेत दे रहें है। जब मानसून शुरु होता हैं तो किसान के लिए एक फसल चक्र की अहम शुरुआत होती है। उस फसल की सफलता पर उसका पूरा भविष्य दांव पर लगा होता है। बारिश की बूंदों के कारण ही हवाएं फ़सलों को लहलहा देती हैं।
जब हरा-भरा खेत लहराता हैं तो वह कवि को हरी पताका-सा प्रतीत होता है। बादल रूप बदलकर किसानों की जमीन को हरा-भरा बनाए रखने में सहायता करते हैं और गर्मी से राहत देते हैं। कविता में बारिश के बाद किसान अब अच्छी फसल के सपने देख रहा है। वह देख रहा हैं कि कैसे उसके हरे खेत लहराएंगे । बादलों के गरजकर बरसने से धरती की प्यास बुझती है, किसानों की फसलें झूमने लगती हैं, मधुर शीतल पुरवाई सारी थकान दूर कर देती है। अच्छी बारिश के सिवा एक किसान के लिए कुछ नहीं हो सकता , उसके परिवार की खुशहाली अच्छी फसल पर निर्भर करती है।
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