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1800-102-2727सलमा भोपाल गैस रिसाव का शिकार हो गई थी । जिससे उसके अंदर अनेक तरह की बीमारियां हो गई थी। जब से उसने होश संभाला है तबसे बीमारी उसके साथ चल रही थी। उसकी माँ उसे लेकर जहांगीराबाद चली गई थीं। उसी बीमारी के दौरान वे धीरे-धीरे बड़ी हुई और उसने चलना सीखा , इस तरह सलमा का पहला कदम बीमारी में ही पड़ा था। सलमा को काफी तरीके की बीमारी थी । उसका गला और आँखें सूज जाती थी , उसका चेहरा सूजन की वजह से बड़ा रहता था, गले से अंदर ही अंदर खून बहा करता था, उसकी साँसें बुरी तरह से फूलने लगती और वो होश खो देती थी। उस रिसाव की वजह से उसके शरीर पर लाल रंग के सिक्के के आकार के धब्बे थे जो उसके बड़े होने के साथ छोटे होते गए । वो कभी भी बेहोश हो जाती । सलमा अकसर बीमार ही रहा करती थी। एक समय आया जब उसकी हालत में कुछ सुधार हुआ लेकिन वो फिर से बीमार होने लगी ।
इस गैस रिसाव के कारण उनकी जिंदगी में बहुत कुछ बदल गया । उसके अब्बू का निधन भी उसी रिसाव में हो गया था, उस वक्त वो बहुत छोटी थी और उसकी एक जुड़वा बहन भी थी । इन सब से उसकी अम्मी को गहरा आघात लगा था , वह हमेशा विक्षिप्त रहती थी। डॉक्टर ने बोला थे कि उन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयास किया करो । सलमा कि अम्मी धीरे धीरे सही होने लगी थी क्योंकि उन्हें तब तक यह एहसास हो गया था कि अपने बच्चों के लिए उन्हें ही खुद कुछ करना पड़ेगा ।अब्बू के पास एक दुकान थी जिसे बेच कर किसी तरह उसकी माँ ने कुछ दिन गुजारा किया पर सलमा अकसर बीमार रहती थी जिससे उन्हें रोजी रोटी में दिक्कत आने लगी थी ।
सलमा की माँ मदद के लिए बहुत लोगों के पास गई पर किसी ने उसकी मदद नहीं की । एक बार सलमा काफी बीमार हो गई थी , किसी ने उसकी अम्मी को बताया कि वह सिर्फ नर्सिंग होम में ही ठीक हो सकती हैं। वैसे तो सलमा की बीमारी की वजह से उसकी अम्मी नाखुश रहती थी , पर जब बात उसके ईलाज की आई तो उसकी माँ ने पता नही कैसे इलाज करवाया और सलमा ठीक होने लगी। कुछ समय बाद सलमा ने आयुर्वेद कि दवाई लेना शुरू कर दिया था । आयुर्वेद की मदद से सलमा के पाँव के छाले सूखने लगे थे, पसलियों का दर्द चला गया था , चेहरे की सूजन, सिर दर्द, बदन दर्द और गले से खून बहना भी बन्द हो गया था । उसे लगने लगा था कि वो अब ठीक हो रही हैं ।अब वह बहुत खुश रहती हैं और जीना चाहती , साथ ही अपनी अम्मी की देखभाल करना चाहती हैं जो वह गैस त्रासदी से पीड़ित होने के कारण नहीं कर पाई थी।
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