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1800-102-2727एक गोमा मोरी नाम का किसान था, उसके पास गुजर बसर लायक खेती थी । उसके पास अपनी गाय, बैलों और बकरियों को देने के लिए पर्याप्त चारा भी नही होता था। उसने सभी पशुओं को घर के सामने बांध रखा था। गोमा खेत पर रहता था और सोचता था कि गांव में पिछले तीन साल से बरसात न होने के कारण सूखा पड़ा है, वर्षा की कोई आशा नहीं है तो खेत जोत कर क्या करेगा..? इसलिए बिना खेत जोते बैलों को घर वापस ले जाता है। ये उसकी नित क्रिया बन गई थी । लोग उसे जाने से भी मना करते थे लेकिन वो फिर भी जाता था। गोमा ने यह निश्चय कर लिया था जब तक बारिश नहीं होगी वो खेत नहीं जोतेगा । एक दिन वह पेड़ के नीचे बैठकर यही सब सोच रहा था , इतने में एक बूढ़ी अम्मा ने कहा यह समय तो खेत जोतने का है और तुम इस समय यहाँ क्या कर रहे हो?
गोमा उदासी से बोला कि ना तो मैं बीमार हूँ और न ही मेरे बैल बीमार हैं , मेरा हल भी नहीं टूटा है। टूटी है तो मेरी हिम्मत अम्मा तुम तो जानती हो तीन साल वर्षा ठीक से नहीं हुई है। इस वर्ष भी यही हाल है। खेत जोतकर क्या करूँ?" अब तो बैल भी गर्मी से थक हार गए हैं और मेरे अंदर भी हिम्मत नहीं रही । अम्मा ने कहा कि वर्षा तुम्हारे हाथ में नहीं है। यह तो प्रकृति पर निर्भर है। जब बादल बनेंगे तो वर्षा अवश्य होगी। तुम्हारा काम है खेत जोत तैयार करना। तुम अपना काम समय पर करो। प्रकृति अपना काम अवश्य समय पर करेगी। वर्षा अवश्य होगी। इस बात पर निराश मन से गोमा ने कहा कि “खेत बहुत कठोर हो गए हैं। उसके बैल दुबले हैं, इन्हें पेटभर चारा तक नहीं मिल रहा है।
पीने के लिए पानी तक की दिक्कत है। चारा-पानी ही क्या यहाँ तो पेड़ों की पत्तियाँ तक खत्म हो गई हैं। बेचारे बैल कैसे हल खींचे? वर्षा की आस हो तो हिम्मत भी बंधे।" उसकी बात पर अम्मा ने उसे समझाया कि तुम निराशा से बात मत करो। पेड़ों की बात भी तुमने खूब कही। पेड़ तो यहाँ सब लोग काट रहे हैं। देखो अब पेड़ भी कहाँ बचे हैं? जब पेड़ ही नहीं होंगे तो पत्तियाँ कहाँ से आएँगी? अगर पेड़ अधिक होते तो वर्षा भी अवश्य हो जाती सारे जंगल से पेड़ों की कटाई जारी है। पेड़ नहीं होंगे तो हरियाली कहाँ से होगी? हरियाली नहीं तो वर्षा भी नहीं लेकिन जो हुआ सो हुआ अब तो तुम लोग पेड़ों पर ध्यान दो।
गोमा ने उदास मन से खेतों को अगले चार दिनों तक बहुत अच्छे से जोता। अगले दिन जब उसने अपनी गायों को रंभाते सुना तो खुश हो गया क्योंकि बारिश हो रही थी। उसे यह समझ आ गया था कि अपना काम समय से करना चाहिए क्योंकि अगर बूढ़ी अम्मा नहीं मिलती तो शायद वह अभी भी असमंजस में ही रह जाता। बारिश का पानी खेतों को नही मिल पाता और अम्मा की बात को फिरसे याद करने लगा। गोमा खुश था कि वर्षा का उपयोगी जल खेतों को मिल गया, अब फसल भी अच्छी होगी।
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