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1800-102-2727प्रस्तुत कविता “फर्श पर” कवियत्री “निर्मला गर्ग” जी द्वारा लिखित है । प्रस्तुत कविता में हमारे घर के फर्श के महत्व के बारे में बताया है। वह बोलती हैं कि कैसे फर्श पर चिड़िया के बिखेरे हुए तिनके से लेकर धूल और मुन्ना द्वारा दूध की उलेटी हुई कटोरी तक सब फर्श पर गिराया जाता है। जब हवा चलती है तो उसकी धूल भी फर्श पर आ जाती हैं । फर्श के सहारे ही हमारा पूरा जीवन बीत जाता है। यहाँ तक की मम्मी चावल साफ करते हुए भी गंदगी फैला रही हैं वो सब भी फर्श पर जा रहा हैं। पापा के बिखेरे हुए जूतों की सही जगह भी फर्श हैं ।
कविता में नौकरानी जो घर की साफ सफाई करती है उस को बहुत सारा काम करते हुए बताया है। कविता में माँ भी मेहनत कर रही हैं पर नौकरानी की मेहनत के सामने मम्मी की मेहनत भी फीकी पड़ गई। कवित्री ने लिखा है कि जब नौकरानी झाड़ू लगाने के बाद पोछा लगाती है तो पोछा लगाते हुए लाइनें छोड़ देती है। कवि ने नौकरानी पर व्यंग्य भी किया है कि वह सूरज की किरणों को भी साफ करती है, पर असल में वह सूरज उगने से ढलने तक काम करती है और फर्श को निर्मल और स्वच्छ बना देती है ।
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