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1800-102-2727प्रस्तुत पाठ “हिन्दी ने जिनकी जिंदगी बदल दी -मारिया नैज्यसी” को “जय प्रकाश पाण्डेय” जी द्वारा लिखा गया है । मारिया हिन्दुस्तानी नहीं थी फिर भी उन्होंने हिंदी भाषा को सीख इस क्षेत्र में अपना स्थान बनाया । इस कहानी के माध्यम से लेखक ने मारिया और उनकी हिन्दी भाषा से सम्बन्ध के विषय में बात करी है । लेखक को हंगेरियन सूचना एवं सांस्कृतिक केंद्र की जनसंपर्क अधिकारी हरलीन अहलूवालिया का फोन आता है , जो उन्हें हिन्दी के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली एवं डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित महिला से मिलवाना चाहती थीं ।
फोटोग्राफर के साथ जब लेखक हंगेरियन सूचना केंद्र पहुंचा और डॉ. मारिया नैज्यसी के नमस्ते करते ही बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। मारिया ने भारत की काफी प्रशंसा की और बताया कि भारत में लोग सयुंक्त परिवार में रहते हैं पर हंगरी में ऐसा नहीं हैं । मेरे माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे , उसके बाद उन्होंने अपना जीवन हिन्दी भाषा को ही समर्पित कर दिया । अपने काम की वजह से उन्होंने कभी शादी नहीं करी वरना वो हिन्दी को अपना इतना समय नहीं दे पाती । मारिया ने अपनी इस रुचि को बढ़ाने का श्रेय डॉ. हुकुम सिंह नामक एक गणितज्ञ को दिया।
उन्हें भारत का भोजन काफी पसंद हैं एवं उन्हें भारत का इतिहास भी बहुत अच्छा लगता है । मारिया को भारत की राजनीति की जानकारी नहीं थी , उनका मानना थे कि भारत की राजनीति को समझने के लिए उनकी पूरी जिंदगी कम पड़ जायेगी । उन्हें दिल्ली , मैसूर , पांडिचेरी भारत में काफी अच्छे लगते थे।
वह कहती हैं कि इस विश्व की कल्पना तो किसी ने भी नहीं की होगी जैसा हम इसे बनाते जा रहे हैं। आधुनिकता ने हमारे अन्दर बहुत परिवर्तन कर दिया है और कहीं ना कहीं हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे। मारिया का हिन्दी में बहुत योगदान रहा है जिसके लिए उन्हें काफी सराहना विश्व स्तर पर मिली है । इतने महान व्यक्तित्व का हिंदी भाषा में योगदान अतुलनीय हैं ।
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