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1800-102-27271942 से भारत में तनाव शुरू हुआ था। युद्ध का मंच निकट आते जा रहा था और देश के कई शहरों में हवाई हमलों का डर था। पूर्वी देशों के युद्ध से भारत के साथ उनके संबंध पर कई सवाल थे। 7- 8 अगस्त को अखिल भारतीय कमेटी ने बंबई में एक प्रस्ताव जाहिर किया था जो आज भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना जाता है। वो एक बड़ा और निर्मल प्रस्ताव था। जिसमें बीच की या मिली–जुली सरकार बनने का प्रस्ताव दिया था। इस सरकार में सभी महत्वपूर्ण वर्गों के लोग प्रतिनिधि रहेंगे और इसका उद्देश्य एक जुट होकर बाहरी हमलों पर रोक लगाना था।
कांग्रेस कमेटी ने भारत की आज़ादी के लिए ब्रिटेन और रूस से अपील की थी। कमेटी ने इस बात की स्वीकृति देना तय किया कि गांधी जी के नेतृत्व में अहिंसात्मक ढंग से एक जन आंदोलन शुरू किया जाए। अंत में कहा गया की कमेटी भारत की जनता के लिए होगी और कांग्रेस का इसमें कोई हित नहीं होगा।
अब्दुल कलाम आजाद और गांधी जी ने अपने अंतिम भाषण में यह साफ कह दिया था कि उनका अगला कदम ब्रिटिश सरकार से समक्ष पूर्ण समझौते के लिए अपील करना होगा। 8 अगस्त सन 1942 को काफी देर रात यह प्रस्ताव पास हुआ था। कुछ घंटों बाद 9 अगस्त को सुबह-सुबह मुंबई में पूरे देश में अनेक स्थानों पर बहुत सी गिरफ्तारियां हुई थी और इस वजह से नेहरू जी अहमदनगर किले में लाए गए थे।
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