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1800-102-2727पहले विश्व युद्ध के दौरान राजनीति में उतार चढ़ाव रहा था। पहला विश्व युद्ध खत्म होने के बाद देश में दमनकारी कानून और पंजाब में मार्शल लॉ लागू हो गया था। जनता में आक्रोश और क्रोध का भाव आ गया। ऐसे समय में जब देश के गौरव को कुचला जा रहा था, हमारी जीवन शक्ति खत्म हो रही थी, देश में किसान भयभीत, कारखानों के मजदूरों की स्थिति गंभीर थी एवं मध्य वर्ग व बुद्धिजीवी लोग अंधकार में थे, उस वक्त गांधी जी ने ब्रिटिश काल के भय से भारतवासियों को न डरने का हौसला दिया था। उन्होंने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया था। उन्होंने अंग्रेजों को मजदूरों और किसानों को परेशान न करने को कहा। वे लोगों की खुशहाली और भलाई का ख्याल रखते थे।
गांधी जी ने कांग्रेस में शामिल हो कर उसके संविधान में परिवर्तन किया। इसका आधार शांतिपूर्ण पद्धति थी। हिंसा की बुराई करी गई और किसी काम से असहमति पर सिर नहीं झुकाया। उन्होंने अंग्रेज शासन की नींव पर चोट की। लोगों में अंग्रेजों द्वारा दिए गए खिताबों के लिए इज़्ज़त समाप्त हो गई थी। धनी लोगों ने भी ऊपरी तौर पर सादा जीवन अपनाया । जिससे उनके पहनावे में और मामूली लोगों में कोई अंतर नहीं रहा। भारतीय जनता के विरुद्ध हो रहे कार्यों के विपरीत उन्होंने संघर्ष किया और उसे बदला। उन्होंने लोगों को गांव की और भेजा और किसानों को झकझोरा। लोगों ने इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में किसी किताब या भाषण से अधिक जाना और समझा। आर्थिक, सामाजिक और दूसरे मामलों में गांधी जी के विचार बहुत सख्त थे।
गांधी मूलतः धर्मप्राण व्यक्ति थे। उनके लिए अहिंसा और सत्य के एक ही अर्थ थे। वे इन्हें अलग- अलग जगह पर अदल बदल के इस्तेमाल करते थे। उन्होंने अद्भुत रूप से भारतीय जनता को अपनी तरफ आकर्षित किया था।। 1920 में नेशनल कांग्रेस ने देश के साथ ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया था। राजनीति में धर्म विभिन्नता की वजह से सांप्रदायिकता ने स्थान लिया। इसका कोई ऐसा हल नहीं मिल पाया जो सब पार्टियों को मान हो। मिस्टर जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धांत से भारत– पाकिस्तान के विभाजन की धारणा पैदा हुई थी।
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