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1800-102-2727अंग्रेजी राज्य की स्थापना भारत के लिए एक नई घटना थी। अंग्रेजी शासन ने भारत के आर्थिक ढांचे पर काफी प्रभाव डाला था। इसके पहले भारत कभी ऐसे शासक के अंदर नहीं था जो उसकी धरती से बाहर का और अपने मूल चरित्र दोनों में विदेशी हो। अंग्रेजों ने बड़े जमींदार खरीद कर अधिक लगान लगाना शुरू किया। लगान के नाम पर उनका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा पैसा जल्दी इकठ्ठा करना था। विश्व व्यवस्था की जिम्मेदारी 9 राजाओं और सरकार के विभिन्न पटवारियों को दे दी थी। ज़मीन बिकाऊ वस्तु हो गई थ। अंग्रेजों ने पाश्चात्य संस्कृति को भारत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अंग्रेजी को भारत में परिचित कराने का श्रेय उन्हीं को जाता है, जो उत्साहित भारतीय विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा देने के लिए इकट्ठा कर लेते थे।
18वीं शताब्दी में बंगाल के अत्यंत गतिशील व्यक्ति राजा राममोहन राय ने अलग-अलग धर्म और संस्कृति के स्त्रोत की खोज की थी। उन्होंने अंग्रेजी और पश्चिम संस्कृति को समझने के लिए ग्रीक, लातिनी और ईरानी भाषाएं भी सीखी थी। वे एक समाज सुधारक थे। इस्लाम और ईसाई का प्रभाव पड़ने के पश्चात भी वे अपने धार्मिक पथ पर जमे रहे। सनातन धर्म के कमज़ोर होने पर वे उन कुरीतियों और कुप्रथा को धर्म और समाज दोनों को मुक्ति दिलाना चाहते थे। सती प्रथा पर ब्रिटिश सरकार ने रोक उन्हीं के आंदोलन के कारण लगाई गई थी। पहला अखबार जिस पर भारतीयों का अधिकार था और संपादन भारतीयों ने किया था, वह 1818 में अंग्रेजी में निकला था। उन्होंने अखबार में सरकार की कड़ी निंदा की थी।।
1857 में सैनिक विद्रोह ने जन आंदोलन का रूप ले लिया। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ईस्ट इंडिया कंपनी से देश को अपने हाथ में ले लिया था। इस विद्रोह से कुछ श्रेष्ठ नेता बाहर आए। उनमें से रानी लक्ष्मीबाई का बहुत बड़ा योगदान है, जो 20 वर्ष की आयु में लड़ते-लड़ते मर गई। विवेकानन्द ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जिसमें सांप्रदायिकता नहीं थी। रविंद्र नाथ टैगोर ने भी मानवता को प्रभावित किया। अब्दुल कलाम आजाद ने युवा पीढ़ी के दिमाग में उत्तेजना पैदा करी थी।
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