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1800-102-2727मौर्य समाज के बाद शुंग वंश आए थे। दक्षिण में राज्य बड़े हो रहे थे और उत्तर में काबुल से पंजाब तक भारतीय –यूनानीयों ने कब्जा कर लिया था। मैनांडर ने पाटलिपुत्र पर हमला किया परंतु हारकर बौद्ध धर्म अपना लिया था, वे राजा मिलिंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसके बाद कुषाणो ने भारतीयकरण किया और मध्य एशिया का बहुत बड़ा भाग में अपना साम्राज्य कायम किया था। कुषाण काल में बौद्ध धर्म दो संप्रदायों में विभाजित किया गया— महायान और हीनयान। महायान का प्रचार चीन में हुआ एवम् लंका और बर्मा हीनयान को मानते रहे।
नयी जातियां आने पर उनके हमलावरों को मारने के लिए एक शक्तिशाली विशाल साम्राज्य चंद्रगुप्त मौर्य ने स्थापित किया था । गुप्त साम्राज्य ३२० ई. में आरंभ हुआ। यह साम्राज्य युद्ध और शांति दोनों कलाओं में सफल हुआ था। दक्षिण भारत में मौर्य साम्राज्य के बाद कई राज्य फले–फूले। यह राज्य बारीक दस्तकारी और समुद्र व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। उत्तर भारत पर बार-बार हमलों से लोग दक्षिण जा कर बस गए थे।
भारत में जिस सभ्यता का निर्माण हुआ उसका मूल आधार सुरक्षा की भावना और स्थिरता थी। वर्ण व्यवस्था और संयुक्त परिवारों पर आधारित सामाजिक तत्वों ने इस उद्देश्य को साकार किया। भारत का रंगमंच अपने आप में स्वतंत्र था। रंगमंच का उद्गम ऋग्वेद में मिलता है, जिसमें एक प्रकार की नाटकीयता है। इस कला पर रचित को नाट्यशास्त्र की कला कहा जाता है। बुद्ध की जीवनी बोध्याचारित उस समय चीन, तिब्बत और भारत में लोकप्रिय हुई थी। यूरोप में भारतीय नाटक के बारे में कालिदास के शकुंतला के अनुवाद के द्वारा पता चला। देश में आक्रमण और आंतरिक झगड़ो के कारण कई पड़ाव आए परंतु इसने अपने संबंध बनाना और शक्तिशाली प्रेरणा देना नहीं छोड़ा। सातवीं शताब्दी में गुप्त शासक भोज ने उज्जैन को कला संस्कृति और साम्राज्य का आकर्षक केंद्र बनाने में सहायता की थी ।आगे चलकर राजा भोज ने इससे बड़ी राजधानी भी विकसित की थी। तमाम शासक आते गए और भारत की शक्ति और दृढ़ता घटती गई।
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