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1800-102-2727इस पाठ में नेहरू जी देश के बारे में अपने विचार प्रकट करते हैं। उनका कहना था कि उनके मन में सिर्फ देश के ही विचार रहते हैं। वे चिंतन करते हैं कि अपने बचपन में वे जिस भारत के बारे में सोचते थे, उसने अपनी प्राचीन शक्तियाँ कैसे खो दी हैं? क्या एक आबादी वाले देश के अलावा हमारी कुछ और ताकत है? भारत आधुनिक युग का सामना कैसे करेगा? उन्होंने देश को बाहरी आलोचक की नजर से देखा था जो वर्तमान और अतीत दोनों की कुछ बातें नापसंद करते थे। वे जानना चाहते थे की भारत की अस्तित्व को बनाए रखने वाला विशेष तत्व क्या था। उन्होंने भारत के उत्तर पश्चिम में पांच हजार वर्ष पहले बनी सिंधु घाटी सभ्यता की बात कही। इस सभ्यता के विकसित होने के कारण ही वो आज तक हमारे बीच बनी हुई है।
भारत के इतिहास में भाषा और समृद्ध दिमाग का असर था। इसमें पराक्रमी योद्धा, मिथ्या, एवं प्राचीन कथाएं शामिल हैं । भारत का प्रत्येक पत्थर, नदी लोगों को पीढ़ियों से अपनी और खींच रहे हैं, यह भारत की महानता का प्रतीक हैं । किन्तु इन सबसे अलग भारत तकनीकी विकास में पीछे रह गया। मानसिक जड़ता और शारीरिक थकावट से भारत पिछड़ गया । ऐसा होने का कारण जानना मुश्किल है, क्योंकि भारत में पहले दिमागी सजगता और कौशल की कमी नहीं थी।
नेहरू जी को भारत की समझ यहाँ की पुस्तकों, प्राचीन इमारतों और सांस्कृतिक इतिहास से जुड़े उपलब्ध साधनों से हुई थी परंतु इससे उन्हें जो उत्तर मिले उससे वो संतुष्ट नहीं हुए थे। वो दौर उनके लिए और उनके जैसे कई लोगों के लिए गरीबी और संघर्ष का था। मध्यवर्ग ने इस संघर्ष में नेतृत्व किया था क्योंकि उनमें विद्रोह की भावना जागी। नई ताकतों ने मोर्चा संभाल और गांव की जनता को अपनी ओर ले आयीं । अद्भुत विविधता के इस देश ने सैकड़ों वर्षों में अपनी पहचान बनाई, जब वे अपने समूह की घनिष्ठता छोड़ कर देशीय एकता के साथ आये। लेकिन वर्तमान समय में गरीबी और परेशानियां हर जगह इंसान को सता रही थी और यहीं भारत की असलियत थी।
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