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1800-102-2727यह किताब पंडित जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा 1944 में लिखी गई थी। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के समय नौ बार जेल में डाला गया था। नौवीं बार जब वे गिरफ्तार हुए तब उन्होंने अहमदनगर जेल के अपने अनुभवों को पाठ में लिखा है। जेल ले जाने के समय पूर्णिमा के चाँद ने उनका स्वागत किया था एवम् वे चाँद को देख कर महीनों का पता लगाते थे।। उन्हें वहाँ बागवानी का काम मिला था। उन्हें फूल बेहद पसंद थे , जिसके लिए उन्होंने तपती धूप में भी क्यारियाँ बनाई। वहाँ की मिट्टी बहुत पथरीली थी।
अहमदनगर का किला चांदबीबी नाम की एक सुंदर महिला के साहस की कहानी से जुड़ा हुआ था । उन्होंने इस किले की रक्षा के लिए अकबर की सेना के विरुद्ध हाथ में तलवार लेकर अपनी सेना का नेतृत्व किया था । दुखद बात यह है कि उनकी मृत्यु अपने स्वयं के लोगों द्वारा हुई थी । नेहरू जी ने हाथ में कलम उठाना सही समझा। उन्होंने क्या लिखे इस पर बहुत सोचा। वे मात्र वर्तमान, भविष्य या अतीत को नहीं लिखना चाहते थे ।
नेहरू जी को किले की खुदाई करते वक्त किले के पुराने अवशेष भी ज़मीन से मिले थे। उन्हें ज्यादा गहरी खुदाई करने की मंजूरी नहीं थी और ना ही साधन थे। उन्होंने जेल में रहने पर अपने विचार और क्रियाकलापों के बारे में इस किताब में लिखा है। अतीत के दबाव के बारे में लिखा है। जो लोग भारत की पुरानी सभ्यताओं से जुड़े है उन्हें ये दबाव दम घुटने जैसा लगा। उन्होंने खुद से कई सवाल किये। भारत की विरासत में एक खास बात है जो बिलकुल खास नहीं अपितु आम है , हम सब एक से है ।
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