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1800-102-2727यह दंतुरित मुस्कान कविता में कवि ने एक बच्चे की मुस्कान का बड़ा ही मनमोहक चित्रण किया है। कवि के अनुसार एक बच्चे की मुस्कान को देखकर, हम अपने सब दुःख भूल जाते हैं और हमारा अंतर्मन प्रसन्न हो जाता है। कवि ने यहाँ बाल अवस्था में एक बालक द्वारा की जाने वाली नटखट और प्यारी हरकतों का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है। जैसे जब कोई बालक किसी व्यक्ति को नहीं पहचानता है तो उसे सीधी नज़रों से नहीं देखता, लेकिन एक बार पहचान लेने के बाद वो उसे टकटकी लगाकर देखता रहता है।
फसल कविता में कवि ने किसानों के परिश्रम एवं प्रकृति की महानता का गुणगान किया है। उनके अनुसार फसल पैदा करना किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है इसमें प्रकृति एवं मनुष्य दोनों का तालमेल लगता है। बीज को अंकुरित होने के लिए धूप, वायु, जल, मिट्टी एवं मनुष्य के कठोर परिश्रम की ज़रूरत पड़ती है तब जाकर फसल पैदा होती है।
नागार्जुन का जन्म 1911 ई० की ज्येष्ठ पूर्णिमा को बिहार के सतलखा में हुआ था इनके पिता का नाम गोकुल मिश्र और माता का नाम उमा देवी था। बाद में नामकरण के बाद इनका नाम वैद्यनाथ मिश्र रखा गया। इनके पिता उन्हें अपने कंधे पर बैठाकर अपने संबंधियों के यहाँ, एक गाँव से दूसरे गाँव आया-जाया करते थे। इस प्रकार बचपन में ही उन्हें पिता की लाचारी के कारण घूमने की आदत पड़ गयी और बड़े होकर यह घूमना उनके जीवन का स्वाभाविक अंग बन गया। इन्होंने अपनी विधिवत संस्कृत की पढ़ाई बनारस जाकर शुरू की, वहीं इन पर आर्य समाज का प्रभाव पड़ा और फिर बौद्ध दर्शन की ओर झुकाव हुआ। साहित्यिक रचनाओं के साथ-साथ नागार्जुन राजनीतिक आंदोलनों में भी प्रत्यक्षतः भाग लेते रहे। कविता, उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत, निबंध, बाल-साहित्य सभी क्षेत्र में इन्होंने अपनी कलम चलाई। नागार्जुन सही अर्थों में भारतीय मिट्टी से बने आधुनिक कवि हैं। इन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जैसे –भारत भारती सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, राजेंद्र शिखर सम्मान एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार।
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