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1800-102-2727इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ अपने पति के साथ हिंदुस्तान पधारने वाली थीं। देश के सारे अखबारों में इस शाही दौरे की खबरों थीं। रानी का दर्जी परेशान था कि हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब क्या पहनेंगी। दिल्ली में शाही सवारी के आगमन से धूम मची हुई थी, वहाँ की सदा धूल-मिट्टी से भरी रहने वाली सड़कें साफ़ हो गईं।
नई दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक नहीं थी अब महारानी देश में आ रही थी और मूर्ति की नाक न हो, तो परेशानी होनी ही थी यदि वह नाक न लगाई गई, तो देश की नाक भी नहीं बचेगी। तय किया गया कि किसी मूर्तिकार से मूर्ति की नाक लगवा दी जाए। मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि वह देश के हर पहाड़ पर जाएगा और वैसा ही पत्थर ढूँढ़कर लाएगा, जैसा मूर्ति में लगा था परन्तु उसे वैसा पत्थर नहीं मिला।
मूर्तिकार ने सुझाव दिया कि देश में नेताओं की अनेक मूर्तियाँ लगी है यदि उनमें से किसी एक की नाक काटकर मूर्ति पर लगा दी जाए तो ठीक रहेगा। परन्तु उसे जॉर्ज पंचम की नाक का सही माप कहीं नहीं मिला, क्योंकि जॉर्ज पंचम की नाक सबसे बड़ी निकली।
मूर्तिकार ने कहा की देश की चालीस करोड़ जनता में से किसी की जिंदा नाक काटकर मूर्ति पर लगा देनी चाहिए। मूर्तिकार को इसकी इजाजत दे दी गई। अखबारों में केवल इतना छपा कि नाक का मसला हल हो गया है। मूर्ति के आसपास का तालाब सुखाकर साफ़ किया गया और ताजा पानी डाला गया, ताकि लगाई जाने वाली जिंदा नाक सूख न जाए। थोड़े दिनों बाद अखबारों में छप गया कि जॉर्ज पंचम के जिंदा नाक लगाई गई है जो बिलकुल पत्थर की नहीं लगती, उस दिन सभी अखबार खाली थे।
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