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1800-102-2727यह पाठ अंदमान निकोबार द्वीपसमूह की एक प्रचलित लोककथा पर आधारित है। पौराणिक जनश्रुति के अनुसार ये दोनों द्वीप पहले एक ही थे, इनके अलग होने के पीछे एक लोककथा आज भी प्रचलित है। जब दोनों द्वीप एक थे तब वहां एक सुंदर-सा गाँव था जहाँ एक सुन्दर और शक्तिशाली युवक रहा करता था जिसका नाम तताँरा था।
एक शाम तताँरा दिन भर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र के किनारे टहलने निकल पड़ा। तताँरा सूरज की अंतिम किरणों को समुद्र पर निहार रहा था तभी उसे कहीं पास से एक मधुर गीत गूँजता सुनाई दिया। उसकी नजर एक युवती पर पड़ी, उसने अपना नाम वामीरो बताया। तताँरा ने उसे अपना नाम बताते हुए कल फिर आने का आग्रह किया।
वामीरो ने तताँरा के व्यक्तित्व में वह सारा गुण पाया जो कि वह अपने जीवनसाथी के बारे में सोचती थी परन्तु उनका संबंध परंपरा के विरुद्ध था, इसलिए उसने तताँरा को भूलना ही बेहतर समझा। अब दोनों रोज शाम में मिलते परन्तु दोनों का विवाह संभव न था क्योंकि दोनों अलग-अलग गाँव से थे।
कुछ समय बाद तताँरा के गाँव पास में पशु-पर्व का आयोजन था जिसमें सभी गाँव हिस्सा लिया करते थे। धीरे-धीरे विभिन्न कार्यक्रम होने लगे परन्तु तताँरा का मन इनमें ना होकर वामीरो को खोजने में व्यस्त था। ऊदन का स्वर सुनकर वामीरो की माँ वहाँ पहुँच गयीं और उसने तताँरा को बुरा-भला कहकर अपमानित किया। अचानक तताँरा का हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका और क्रोध में उसने अपनी तलवार को निकालकर धरती में घोंप दिया। द्वीप के दो टुकड़े हो चुके थे एक तरफ तताँरा था और दूसरी तरफ वामीरो, दूसरा द्वीप धँसने लगा।
बाद में उसका क्या हुआ कोई नहीं जानता, लोगों ने तताँरा को खोजने का बहुत प्रयास किया परन्तु वह नहीं मिला। आज ना तताँरा है ना वामीरो परन्तु उनकी प्रेम कथा घर-घर में सुनाई जाती है।
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