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1800-102-2727इस पाठ के नाम से ही पता चल रहा है कि इस पाठ में कवि ने इस संसार में रहने वाले आदमियों के चरित्र के बारे में बताया है। इस पूरे संसार में अलग-अलग प्रवृत्ति के आदमी रहते हैं और उन्हीं के आधार पर उनकी भावना में भिन्न विचार उनके अंदर समाहित होते हैं। कवि नजीर जी कहते है कि कोई व्यक्ति अगर राजा है तो कोई बहुत गरीब है। किसी के पास दिन में चार पहर के लिये 56 व्यंजनों का इंतजाम हैं तो कोई इतना गरीब हैं कि उसे एक वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं है। यह बड़ा ही दर्दनाक बात है, लेकिन यही इस कठोर जीवन की सच्चाई है ।
वे कहते हैं कि मस्जिद का निर्माण आदमी करता है, उसमें नमाज अदा भी आदमी करता है, और मस्जिद के बाहर चप्पलें भी आदमी चुराता है। उन आदमियों को भी कोई आदमी ही भगाता है। आप ही सोचिये की कितनी भिन्नता है इस संसार में रहने वाले आदमियों में। वे आगे कहते है कि इस दुनिया में आदमी ही आदमी का मित्र हैं और वही आदमी का दुश्मन है। एक आदमी दूसरे आदमी का भला चाहता है और वही आदमी किसी दूसरे का बुरा भी करना चाहता है।
इन सभी पंक्तियों में नज़ीर जी ने बताया है कि इस दुनिया में सब कुछ आदमी ही करता है। फर्क इतना है अगर उसके किसी के साथ सम्बन्ध अच्छे हैं वो वह उसका मुरीद हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति के साथ सम्बन्ध बुरे हैं तो वही उसका दुश्मन बन जाता है। यह सब कुछ व्यवहार का खेल है। व्यवहार के कारण ही अच्छे व बुरे सम्बन्ध समाज में स्थापित होते हैं।
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