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1800-102-2727आकाश में बहुत से तारे हैं , लेकिन शुक्र तारा सभी तारों में अनोखा हैं ।उसकी इसी खासियत की वजह से कवि उसकी तारीफ करते हुए थकते नहीं है। भारत में न जाने कितने ही महान सेनानियों ने जन्म लिया, लेकिन महादेव देसाई जी उन सभी लोगों में शुक्र तारे के समान अनोखे व निराले थे। गांधीजी तो उन्हें अपने पुत्र से भी अधिक समझते थे, और इसी का उन्हें यह फल मिला कि जब वो 1917 में गांधीजी से पहली बार मिले, उसी समय गांधी जी ने उनके अंदर की प्रतिभा को समझ लिया और उन्हें अपना उत्तराधिकारी भी नियुक्त कर दिया था।
गांधी जी के पास न जाने कितने ही लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते थे। महादेव जी बड़ी विनम्रता के साथ उन लोगों पर हुए अत्याचारों की सारी बातों को सुनते व समझते थे और फिर उसकी रूपरेखा तैयार कर गांधीजी के सामने पेश करते थे। महादेव जी गांधीजी से अत्यंत ही प्रभावित थे और वह उनकी सीख “सादा जीवन उच्च विचार” पर सदैव अड़िग रहकर ही कार्य करते थे।
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव जी सरकारी नौकरी किया करते थे । वह अनुवाद विभाग में कार्यरत थे। उन्होंने वकालत की पढ़ाई की थी । गांधी से प्रभावित होकर वे अपनी नौकरी छोड़ आए थे। अक्सर अंग्रेजी अखबार गांधी जी के जीवन पर टीका टिप्पणी करते रहते थे और महादेव जी उन्हें आड़े हाथों ले लेते थे। महादेव जी की अकाल मृत्यु के बाद गांधीजी के जीवन में सूनापन छा गया था और और कभी-कभी तो वे आश्रम की किसी विद्यार्थी को बुलाते वक्त महादेव कहकर उसे पुकार देते थे।
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