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1800-102-2727इस कविता को हरिवंश राय "बच्चन" जी ने लिखा है । बच्चन जी की रचनाओं की एक खासियत रही है कि वे जीवन की सच्चाई के बारे में लिखते थे। उनकी रचनाओं में कभी भी कल्पना में रहने की बात नहीं होती। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता “मधुशाला” भी जीवन की सच्चाई से ओतप्रोत है। इस कविता में बच्चन जी कहते है कि संघर्ष जीवन का हिस्सा है। हमें जीवन के प्रत्येक पड़ाव में संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि संघर्ष करके ही हमें सफलता हासिल होती है।
जीवन में कभी भी तुम्हें ऐसा प्रतीत हो कि यह काम तुम्हारे लिए बहुत कठिन है तो यह समझ जाना चाहिए कि यह कठिन काम ही तुम्हारी असली परीक्षा है। इसमें तुम्हें बिना किसी का सहारा लिए अपने दम पर उत्तीर्ण होना है, क्योंकि कठिन समय ही हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाता है। कवि आगे कहते हैं कि जब भी तुम कठिन रास्ते पर चलो तो अपने मन में यह दृढ़ निश्चय कर लो कि तुम अब पीछे नहीं हटोगे और इन कठिनाइयों को पार करते हुए आगे बढ़ते जाओगे। कवि आगे कहते है की तुम तब तक नहीं रुकोगे, जब तक कि तुम्हें सफलता हासिल ना हो।
अंत में कवि कहते है कि जो व्यक्ति अनेक कठिनाइयों को पार करके सफलता को हासिल करता है, वह समाज में एक मिसाल कायम करता है और कई सारे लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। उस व्यक्ति से प्रेरणा लेकर कई सारे लोग कठिनाइयों को हंसकर पार करना सीखते हैं। जीवन में आने वाली छोटी से छोटी मुश्किल भी बड़ी सीख देकर जाती है। कवि ने इन्हीं संघर्षों को अग्निपथ के रूप में देखा है ।
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