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1800-102-2727कविता ‘ कैदी और कोकिला ‘ में कवि ने कारागार में बंद एक कैदी की मनोदशा को सफलतापूर्वक दर्शाया है। रात के घने अंधेरे में कारागार के ऊपर जब वह एक कोयल को गाते हुए सुनता है तो उसके मन में कई तरह के भाव और प्रश्न उत्पन्न होते हैं तभी वह कोयल से सारे प्रश्न पूछने लगता है। कवि कारागार में अंग्रेज़ों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों और उनके काले कारनामों का बखान करता है कि स्वतंत्रता सेनानियों को यहाँ चोर, बदमाशों की तरह रखा जाता है। उन्हें पेट भर खाना तक नसीब नहीं होता है, और उन्हें तड़प कर मरने की लिए छोड़ दिया जाता है।
कवि कोयल की आवाज़ को रूआंसा होता देख, उससे पूछता है कि क्या उसे भी लूटा गया है? कवि ने अंग्रेज़ों की हैवानियत को दिखाने का प्रयास किया है कि कैसे उन्होंने पहले हमें लूटा है। इंसान को इंसान का दर्जा तक नहीं मिल पा रहा है, कवि पूछता है कि क्या कोयल ने भी देश की दयनीय स्थिति देख ली है? कई प्रयासों के बावजूद अंग्रेज़ी हुकूमत झुकती नहीं दिख रही पर उनकी अकड़ ज़रूर कम हो जायेगी और इसी कोशिश में हम रोते नहीं हैं। कवि को एक बार को लगता है कि कोयल शायद सांत्वना देने आई हो।
कवि वातावरण में फैले काले रंग की सहायता से सेनानियों के जीवन में अंधियारे को दर्शाते हैं। कोयल आज़ाद है और हम कैद हैं। कोयल का गाना सुनकर सब वाह-वाह करते हैं, पर उनका रोना सुनकर कोई उनका हाल तक नहीं पूछता। यही तुलना इस कविता का शीर्षक भी है। एक तरफ कोयल है जो अपने गीतों से जोश भरना चाहती है और एक तरफ स्वतंत्रता सेनानी जो सभी यातनाएं सहने को तैयार हैं। कवि आखिर में पूछता है कि वह जोश लाने के लिए यह रचना तो कर रहा है पर इसके साथ और क्या-क्या कर सकता है जो देश की आज़ादी के काम आए।
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