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1800-102-2727यह कहानी आठ साल की वल्ली नाम की बच्ची की हैं । जिसकी इच्छा थी कि वह बस की सैर करे। वो रोज घर की खिड़की से सड़क पर लोगों को आते जाते देखती पर उसकी अम्मी ने उसे सड़क पर जाने से मना कर रखा था। वह रोज बस स्टॉप से लोगों को बस से चढ़ते उतरते देखती और उसका भी मन बस में जाने का करता था। उसकी यह इच्छा कभी भी खत्म नहीं होने वाले में से थी। जब उसका कोई मित्र उसे बस और शहर के बारे में बताता तो वो जल जाती थी और उसे बहुत बुरा लगता था। उसने अपनी इस नन्ही-सी इच्छा को पूरी करने की ठानी । वो अपने आस पास के लोगों से , अपने मित्रों से बस के बारे में जानकारी एकत्रित करने में लग गई । वो बस के समय , उसके किराए आदि की जानकारी को इकठ्ठा करने लगी ।
उसके गाव से शहर 10 किलोमीटर दूर था। आने-जाने के लिए 60 पैसे किराया जोड़ा, अपनी माँ के जागने के समय से पहले आने का निश्चय किया। वह पहली बार गांव से 10 किलोमीटर दूर शहर जा रही थी, बस में चढ़ते ही कंडक्टर से सीट की टिकट लेकर खिड़की वाली सीट पर जाकर बैठ गई । वह खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर के नजारे देखने लग गई । बस नहर-किनारे रास्ते से गुजर रही थी , नीला आसमान, घास के मैदान, नहर के उस पार ताड़ के वृक्ष, सुन्दर पहाड़ियाँ, दूसरे तरफ एक खाई थी और आस-पास चारों तरफ हरी-भरी खेत हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी , ये नजारा उसके लिए अकल्पनीय था। वह ये सब देखकर बहुत खुश मालूम पड़ रही थी, पर बस में बैठे अन्य लोग उसे उछलने कूदने के लिए मना कर रहे थे।
लेकिन उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था, क्योंकि उसने गांव से बाहर के सैर-सपाटा के लिए पैसे अपनी इच्छाओं को मारकर जोड़े थे। वो बच्ची बस की सीट पर खड़े होकर फिर से बाहर का नजारा देखने में लग गई । एकदम से उसकी नज़र ने एक बछिया को देखा जो बस के भोंपू की आवाज़ सुनकर बेतहाशा भागने लगी थी, वह बहुत खुश हुई। यह बस यात्रा उसकी पहली यात्रा थी , इसके लिए उसने बहुत कठिनाई से योजना बनाई थी । शहर पहुँचकर बिना कुछ जल-पान किए ही उसने वापसी की टिकट ले ली। लौटते समय भी कोई खास भीड़ नहीं थी, फिर वही दृश्य लेकिन उसका मन बिलकुल नही ऊबा। पर जब वल्ली ने बछिया को सड़क पर मरी पड़ी देखा तो उसका सारा उत्साह ढीला पड़ गया। 3 बजकर 40 मिनट पर वह गांव पहुँची और कंडक्टर से विदा लिया। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि किसी कार्य को पूर्ण मन और संयम से किया जाए तो उसे पूरा किया जा सकता है । वो बच्ची बहुत छोटी थी किन्तु फिर भी उसने अपनी समझदारी और सूझबूझ से अपने मन की इच्छा को पूर्ण किया ।
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