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1800-102-2727नेहरू जी भारत की प्राचीन सभ्यता से अत्यधिक प्रभावित थे। जिनमें से सिंधु घाटी की सभ्यता तो छः से सात हज़ार साल पुरानी थी। मोहनजोदडो और हड़प्पा दोनों उस समय के विकसित नगर थे। ये नगर एक दूसरे से बहुत दूरी पर थे, जिन्हें प्राचीन समय के लोगों ने बसाया था। यह सभ्यताएं जिस हाल में हमें मिली हैं उससे ये पता चलता है की ये विकसित थी। आश्चर्य की बात यह है की यह सभ्यता धर्म को ना मानने वाली थी। वे कृषि और व्यापार क्षेत्र में भी आगे थे। इन सभ्यताओं का संबंध फ्रांस, मेसोपोटामियां और मिस्त्र से था। नगर में सड़को पर दुकानों की कतारें थी। इन लोगों ने सिर्फ दिखावी वस्तुओं का संग्रह नहीं किया, बल्कि ऐसी सभ्यता का निर्माण किया जो उपयोगी थी, जिसमें अच्छे हमाम, नालियां और इटो से बने घर थे। सिंधु घाटी की सभ्यता के खत्म होने का कारण आज भी नहीं पता। सिंधु घाटी खत्म होने के बाद आर्यो का आगमन हुआ था।
सिंधु घाटी की खोज से पहले हमारा सबसे पुराना इतिहास वेद है। वेद की उत्पत्ति विद धातु से हुई हैं, जिसका अर्थ है जानना। यह चार वेद हैं — ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद, यजुर्वेद। इतिहास में भारत ईरानीयो, यूनानीयों, चीन, मध्य एशियाई तथा बाकी लोगों से संपर्क में रहा था। यह सांस्कृतिक विकास और उसका अटूट सिलसिला अद्भुत है । फिर उपनिषद आए, ये सामाजिक और सच्चाई का रास्ता बताते हैं। यह हमें भारत के इतिहास के बारे में एक कदम आगे ले जाता है। प्राचीन काल के दो महाकाव्य- महाभारत और रामायण ने लोगों में एकता बढ़ाई। इतने पुराने समय में रचि जाने के बाद भी इन महाकाव्य का आज भी मनुष्य पर प्रभाव दिखाई देता है। यह भारतीय जीवन के अटूट अंग बन गए हैं। जैन और बौद्ध धर्म वैदिक धर्मों से अलग थे। इन धर्मों में वेदों को प्रमाण नहीं माना। इनका संबंध अहिंसा और ब्रह्मचारी भिक्षुक के संग था।
भारत में धीरे-धीरे बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ था। इसी दौरान दो विलक्षण व्यक्ति चंद्रगुप्त मौर्य और उनके सलाहकार चाणक्य आए थे। चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी जिस के उत्तराधिकारी अशोक हुए। अशोक ने 41 साल तक शासन किया था और सम्मान पूर्वक मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
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