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1800-102-2727महात्मा गाँधी जब दक्षिण अफ्रीका से लौटकर आए थे तब उन्होंने अहमदाबाद में अपने आश्रम की स्थापना की थी। शुरुआती दिनों में उस आश्रम में 40 लोग रहते थे, दिन-प्रतिदिन की भाँति गांधीजी ने 1 दिन स्वयं आश्रम के अनुमानित खर्च को लिखा और आवश्यक सामग्रियों की सूची बनाई। गांधीजी ने यह अनुमान लगाया कि आश्रम में हर माह 10 अतिथि आते रहते हैं, हो सकता है कि उनमें से कुछ अपने परिवार के साथ आए। इन सब बातों से गांधीजी को यह महसूस हुआ कि उन्हें आश्रम, रसोईघर और मकान बनाने की आवश्यकता हो सकती है।
साथ-ही- साथ उन्होंने आश्रम में और भी तरह के पुस्तकालय और अलमारियों की जरूरत समझी, गांधीजी अपने आश्रम को खेती योग्य बनाना चाहते थे जिस पर कम-से-कम तीन लोग से 30 लोग काम कर सकें। खेती के काम के लिए औज़ारों की जरूरत पड़ेगी उसका भी अपने व्यय विवरण कर रहे थे। गांधीजी ने जब इन सारी चीजों पर विचार किया तब उन्होंने अनुमान लगाया कि इसपर कोई 5 रुपया खर्च होगा और रसोई के लिए 150 रुपए खर्च होने की उम्मीद थी। गांधीजी ने फिर अनुमानित व्यय की सूची बनाई जो इस प्रकार थी:-
1. मकान और जमीन का किराया।
2. पुस्तकों की अलमारी का खर्च, बढ़ई के औजार ।
3. मोची के औज़ार।
4. चौके का सामान इत्यादि।
गांधी जी के इन व्यय से यह ज्ञात होता है की वो भारत को आत्मनिर्भर एवं नव-निर्माण के लिए किस प्रकार से कार्य कर रहे थे।
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