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1800-102-2727प्रस्तुत पद मीराबाई द्वारा रचित है, इसमें यशोदा मैया अपने पुत्र कृष्ण को प्रेम से जगाते हुए कहती हैं कि कन्हैया रात बीत गई है, तुम उठ जाओ। यशोदा मैया गोपियों के दही मथने से, कंगन की झंकार के द्वारा कृष्णा को यह बता रही हैं कि सुबह हो चुकी है। देवता और मनुष्य सभी उनके द्वार पर कन्हैया के दर्शन के लिए खड़े हुए हैं । चारों तरफ सिर्फ कन्हैया के नाम की जय-जयकार है। मीराबाई आगे कहती हैं कि हे! कन्हैया, माखन रोटी हाथ में लेकर आ जाओ, आप आपकी शरण में आए हुए लोगों का उद्धार करो ।
मीरा बाई आगे कहती है की सावन में मन मोह लेने वाले बादल बरस रहे हैं और आपके आने की आहट-सी प्रतीत हो रही है। मीरा कृष्ण का ये मनमोहक रूप समझ जाती है, कृष्ण के आने का सोच उनका मन खुशियों से भर जाता है। चारों तरफ बादलों से नन्ही-नन्ही बूंदें बरस रही होती हैं और ठंडी सुहानी हवा चल रही होती है। मीरा अपने प्रभु गिरधर गोपाल के आने की खुशी में सुखद और मंगल गीत गाना शुरू कर देती हैं।
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