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1800-102-2727कवि अपने बीते हुए समय को याद करके कहते है कि वह एक बार अपने घर की छत पर घमंड से भरकर घूम रहे थे। तभी अचानक से उनकी आँखों मेँ एक तिनका जाने की वजह से वह परेशान हो गए और उस पल, उस रत्ती भर के तिनके ने, उस जरा -सी निर्जीव चीज़ ने उनका सारा घमंड चूर-चूर कर दिया।
उस तिनके की वजह से कवि की आंखें भर जाती है और वह बेचैन हो उठते हैं। उस तिनके की वजह से कवि की आंखें पलभर में लाल हो जाती है और बहुत दुख देने लगती है। उसी वक्त उनके पास मौजूद लोग कपड़े की सहायता से उस तिनके को निकालने की कोशिश करते हैं और उस रत्ती भर के तिनके की वजह से कवि का सारा घमंड नष्ट हो जाता है।
जब लोग कपड़े की सहायता से कवि की आँखों से उस तिनके को निकाल देते हैं तब जाकर कवि को थोड़ी राहत मिलती है। फिर वह इस बात पर विचार करते हैं कि वो आखिर किस बात पर अकड़ रहे थे उनके , घमंड को चूर करने के लिए तो एक तिनका ही बहुत था ।
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