Call Now
1800-102-2727प्रथम दोहे में रहीम ने धन दौलत के बारे में बताया है जब धन दौलत हमारे साथ रहती है, तब बहुत से लोग हमारे साथ होते हैं लेकिन सच्चा मित्र वही होता है जो हमारा विपत्ति में साथ देता है।
द्वितीय दोहे में रहीम ने प्रेम की महत्ता बताई है और कहा है कि पानी के मोह की वजह से मछली जाल में फंसने से अपने प्राण त्याग देती है , क्योंकि वह जल के प्रति अपने प्रेम का त्याग नहीं कर पाती।
तृतीय दोहे में रहीम ने वृक्ष, तालाब और विद्वान लोगों के माध्यम से यह कहा है कि उनके द्वारा अर्जित की हुई चीजें कभी उनके स्वयं के लिए नहीं होती अपितु किसी और की भलाई के लिए होती हैं।
चतुर्थ दोहे में रहीम ने दुखी लोगों द्वारा सुख के दिनों की बातें करने को व्यर्थ कहा है, क्योंकि आज के समय में उनकी उपयोगिता नहीं है। दोहे में रहीम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि हमें पुराने समय को नहीं याद करना चाहिए, वर्तमान में जो है उसी में खुश रहना चाहिए ।
पंचम दोहे में रहीम ने सिर्फ इतना कहना चाहा है कि जिस प्रकार धरती हर प्रकार के मौसम के भावों को झेल सकती है, उसी प्रकार हमारे शरीर में हमारे अन्दर वैसे क्षमता होनी चाहिए कि हम जीवन में हर प्रकार के परिवर्तन को स्वीकार कर सकें एवं किसी भी परिस्थिति में अपना जीवन यापन कर सकें।
Talk to our expert