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1800-102-2727तोत्तोचान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुतो बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था। उस पेड़ पर चढ़ने पर पैर फिसलने लगते थे ठीक से चढ़ने पर जमीन से छह फुट की ऊंचाई पर स्थित शाखा तक पहुंचा जा सकता था। वह झूले जैसी आरामदेह जगह थी। तोत्तोचान अक्सर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद उस पर चढ़ी मिलती। वहाँ से वह दूर आकाश को या सड़क पर आने-जाने लोगों को देखती थी। तोत्तोचान, यासुकी चान के साथ मिलकर उसे पेड़ पर चढ़ाने की योजना बनाती है। वे अपने घर पिता को भी इस बारे में कुछ नहीं बताते। तोत्तोचान अपनी माँ से झूठ बोलती है कि वह यासुकी चान के घर जा रही। है। वह यासुकी चान को स्कूल में मिलती है और उसे लेकर अपने पेड़ के पास पहुंचती है।
इस पेड़ पर वह कई बार चढ़ चुकी थी। तोत्तोचान चाहती थी कि अब यासुकी चान भी उस पेड़ पर चढ़े। यासुकी चान भी पेड़ पर चढ़ने के विचार से बहुत उत्साहित था। तोत्तोचान उसे अपने पेड़ के पास ले गई। वहाँ वह चौकीदार के यहाँ से एक सीढ़ी उठाकर ले आई। तोत्तोचान चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी घसीटकर पेड़ के तने के सहारे लगा देती है। वह यासुकी- चान को पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करने के लिए कहती है यासुकी-चान बिना सहारे के एक सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाता। वह निराश हो जाता है परन्तु तोत्तोचान हार नहीं मानती और चौकीदार कि छिपकर, घसीटकर तिपाई सीढ़ी लाती है। पसीने से लथपथ तिपाई सीढ़ी पेड़ से लगाती है तोत्तोचान उसे एक-एक सीढ़ी पर सहारा देती है।
यासुकी चान, पेड़ पर चढ़ने में पूरी कोशिश करता है और वह पेड़ के पास तक पहुंच जाता है। तभी तोत्तोचान को लगता है उसकी मेहनत बर्बाद हो गयी क्योंकी यासुकी चान पेड़ के पास पहुंचा था लेकिन चढ़ नहीं पाया था। तोतोचान को रोने का मन होने लगा लेकिन वह रोती नही है। तोत्तोचान यासुकी चान को पेड़ का सहारा लेने के लिए कहती है। वह उस पेड़ की और पूरी शक्ति से चढ़ा ने लगती है, यह एक खतरे से भरा काम था। यासुकी-चान को तोत्तोचान पर पूरा विश्वास था अन्त में तोत्तोचान, यासुकी चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने में सफल हो जाती है। पसीने से लथपथ तोत्तोचान सम्मान से यासुकी चान का अपने पेड़ पर स्वागत करती है वे दोनों काफी देर तक पेड़ पर बैठकर इधर-उधर की बाते करते हैं। यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम अवसर था।
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