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1800-102-2727आजकल हर किसी को आगे बढ़ने का खुदकी तारीफ सुनने का शौक़ है, और बचपन में तो यह शौक अपनी ऊँचाई पर होता है। यह कहानी भी इन्ही बातों से मिलती जुलती बातें करती है । राजप्पा और नागराजन दोनो एक ही स्कूल में साथ कि कक्षा में पढ़ते थे। दोनो के पास अपना सुंदर टिकट ऐल्बम था। राजप्पा ने अपनी खुदकी मेहनत से डाक-टिकटों को जोड़ बड़ा ही सुंदर ऐल्बम बनाया था। जबकि नागराजन का ऐल्बम उसके मामा ने सिंगापुर से भेजा था वो बहुत ही सुंदर था,जब राजप्पा के पास ही सिर्फ ऐल्बम था तो सभी उसके ऐल्बम को देखने के लिये उत्साहित रहते थे और राजप्पा भी काफी दूरी तय करके डाक-टिकट को इकठ्ठा करता रहता था। लेकिन जबसे नागराजन का ऐल्बम आया है कोई उसके ऐल्बम के बारे में पूछता भी नहीं था और उसके ऐल्बम को फ़िसड्डी भी कहते थे। इसी वजह से उसने दुःख के कारण टिकट भी इकट्ठा करने बंद कर दिए। एक दिन उसने नागराजन के टिकट ऐल्बम को चोरी करने की योजना बनायी और वह नागराजन के घर गया वह उसकी बहन कामाक्षी ने भी ऐल्बम की तारीफ की और कहा कि नागराजन घर पर नहीं है और वह नीचे चली गयी। मौका पाते ही उसने ऐल्बम चोरी कर लिया और अपने घर में छिपा दिया। अगले दिन एक दोस्त ने बताया कि नागराजन का ऐल्बम चोरी हो गया है, और उसने पुलिस में शिकायत लिखवाई है। पुलिस के डर से राजप्पा ने वह ऐल्बम अँगीठी में डाल दिया पर बाद में पश्चाताप के कारण उसने अपना ऐल्बम नागराजन को दे दिया।
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