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1800-102-2727इस कविता को साहिर लुधियानवी जी ने लिखा है इस कविता में कवि मिलजुलकर रहने व साथ में काम करने की सलाह देते हैं। वे आगे कहते हैं कि जब हम किसी काम को अकेले करते हैं तो हम उस काम को करते करते थक जाते हैं और एक समय ऐसा आता है कि हमें वो काम बोझ लगने लगता है। वहीं दूसरी ओर अगर किसी बड़े से बड़े काम में भी हमारे साथ कुछ लोग काम कर रहे हों तो वो काम हमें छोटा लगने लगता है। हम उस काम को कम समय मे खत्म करके बहुत खुश महसूस करते हैं क्योंकि जब मेहनत करने वाला व्यक्ति कोई काम करता है, तब उसके अंदर सात समंदर को पार करने की और ऊँचे पर्वतों को काटने की क्षमता होती है। कवि उस समय को याद करता हैं जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था और कहते हैं कि पहले हमारी मेहनत का फायदा दूसरे उठाते थे। लेकिन अब वो वक़्त नहीं है, अब आपकी मेहनत आपके ही भविष्य को रोशन करेंगी और जब हम सभी मिलकर अच्छे व बुरे समय में एक दूसरे का साथ देंगे तो हम सब की तरक्की होगी और यह सब तभी संभव हो सकता है, जब हम किसी अनजाने व्यक्ति की भी मदद के लिये बिना किसी लोभ के बारे में सोचकर आगे बढ़ें और उसको वहीं अपनापन और सहानुभूति दें जैसी हम परिचित लोगों को देते हैं, क्योंकि इन्ही छोटी बड़ी चीज़ों से न केवल हमारा बल्कि हमारे देश का भी विकास चारों ओर से समान रुप से होगा।
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