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1800-102-2727यह एक कविता है, जिसे केदारनाथ जी ने लिखा है। इस कविता में कवि ने एक प्यारी सी नीले पंखों वाली चिड़िया के बारे में लिखा है। इस कविता की प्रत्येक पंक्ति में नीले पंखों वाली चिड़िया की हर एक प्रतिभा के बारे में भली-भाँति बताया है और अगर हम दूसरे शब्दों में कहें तो कवि ने अपने खुद के व्यवहार के बारे में बताया है।
कवि कहते हैं कि चिड़िया को दुनिया से कोई ज्यादा चाह नहीं है। उसे अन्न से बहुत प्यार है, वह ज्वार के दानों को बड़े ही प्यार से खाती है। वह पूरे जंगल को अपने मीठे गीतों से सराबोर कर देती है। जिससे पूरे वन में खुशहाली का माहौल फैला हुआ है। उसे अकेले में रहना बहुत पसंद है, उसके लिये वह खुद में ही काफ़ी है। वह प्यारी-सी छोटी चिड़िया जहाँ भी रहती उसी स्थान को खुशियों व उम्मीदों से भर देती है। वह चिड़िया बहुत छोटी सी है लेकिन उसके अंदर हिम्मत बहुत है। वह एक निडर औरत की तरह जंगल में रहती है। ना तो वह किसी से डरती थी, न डरती है और न ही डरेगी। नीली चिड़िया को नदी बहुत अच्छी लगती है, वह नदी की बीच धारा में जाकर नदी के बहाव में पानी पीकर अपनी प्यास बुझाती है। उसके आकार से उसकी ताकत को समझना मुश्किल है क्योंकि वह अपने आकार से कई गुना ज्यादा हिम्मत रखती है। सच मे यह छोटी सी चिड़िया हम सबको एक बहुत महत्वपूर्ण सन्देश देती है कि आपका रंग,रूप और आकार आपके इरादों नही बताते हैं। आपके अंदर किसी काम को करने का जुनून ही आपके पक्के इरादों और आपकी खुद की एक अलग पहचान बताते हैं। जिस तरह से इतने बड़े जंगल में भी उस छोटी चिड़िया की एक अपनी अलग ही पहचान है।
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