भारत एक ऐसा देश है जहां अलग-अलग धर्म व जातियों के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं । सुख और दुख में सभी लोग एक दूसरे की मदद करते हैं । इस कथन को सुनकर प्रत्येक भारतवासी के मन को बहुत खुशी होती है। किन्तु सत्यता बिल्कुल बदल चुकी है , क्योंकि अब देश में राजनीति से लेकर सामाजिक वस्तु तक देश अलग-अलग धर्मों में बंट चुका है। आए दिन दंगे होते रहते हैं, और इन दंगों की जड़ होता है एक धर्म का दूसरे धर्म के प्रति बुरा व्यवहार। इन दंगों को करने के लिए किसी बड़े कार्य को करने की जरूरत नहीं होती है, बस एक धर्म दूसरे धर्म की अपेक्षा करता है और यह दंगे अपने आप ही बड़ा रूप ले लेते हैं।
साधारण से साधारण इंसान के मन में भी यह बात अच्छी तरह बस चुकी है कि धर्म और इमान के लिए जान दे देना कोई छोटी बात नहीं होती, बल्कि यह गर्व की बात होती है। सच्चाई तो यह है कि समाज इंसानियत नहीं बल्कि धर्म के आधार पर निर्भर हो गया है। अनेक हिंदू मुस्लिम दंगे होते हैं, जिन्हें भड़काता कोई और है लेकिन इन दंगों में न जाने कितने ही मासूमों की जान चली जाती है।
जो व्यक्ति धर्म के प्रति अंधे हैं, उनसे अच्छे तो नास्तिक लोग होते हैं क्योंकि वे किसी धर्म के लिए अंधे नहीं होते। इंसानियत के प्रति उनकी आंखें खुली होती हैं, वे लोगों की मदद करते हैं। आज समाज में इंसानियत अगर कहीं जिंदा है तो यह समाज में रहने वाले नास्तिक लोगों के कारण ही है।
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