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1800-102-2727कहावत है कि इंसान की पहचान उसके कर्म से होती है । लेकिन समय बदलने के साथ-साथ कहावतों में भी अंतर आ गया है , क्योंकि अब इंसान की पहचान उसके कर्म से नहीं बल्कि उसके कपड़ों से होती हैं। अगर कोई इंसान सूट पहनता है, बढ़िया जूते पहने पहनता है ,तो वह अमीर इंसान है । कोई सादा कपड़े पहने हैं तो वह मध्यमवर्गीय और यदि कोई फटे कपड़े पहने हैं तो वह गरीब है ।इन्हीं कपड़ों के आधार पर समाज ने उसके लिए अधिकार भी निश्चित कर दिए हैं ।
एक बड़ी उम्र की महिला बीच बाजार में बैठी खरबूजे बेच रही थी , कुछ टोकरी में रखे हैं तो कुछ जमीन पर ।आसपास के लोग उसे घृणा की नजरों से देख रहे हैं ,क्योंकि उसके बेटे को इस दुनिया से गए कुछ ही दिन हुए थे और वह बाजार में बैठी खरबूजे बेच रही थी। परंतु उसकी स्थिति तो इतनी दयनीय है कि उसके पास अपने बेटे की त्रयोदशी के लिए पैसे भी नहीं हैं , जितने थे वह अंतिम संस्कार करने में चले गए । इसीलिए वह पैसों के इंतजाम के लिए धूप में सर झुकाए रो रही है।
कितनी अजीब बात है ना यदि किसी अमीर के घर कोई खत्म हो जाए तो हजारों लोग सांत्वना देने चले आते हैं , वही जब किसी गरीब के घर कोई खत्म हो जाता है तो लोग उसकी स्थिति को समझने का भी प्रयास नहीं करते । मदद करना तो दूर की बात है घृणा करना जरूर शुरू कर देते हैं । आज समाज की हालत इतनी बिगड़ गई है कि लोगों ने खुद ही ऐसे नियम बना लिये हैं जो कि समाज के लिए घातक हैं और इन नियमों ने दुख के अधिकार को भी बांट दिया है।
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