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1800-102-2727इस पाठ में लेखक ने मानव द्वारा अपने स्वार्थ के लिए धरती पर किये गए अत्याचारों से अवगत कराया है। ईसा से 1025 वर्ष पहले एक बादशाह थे जिनका नाम बाइबल के अनुसार सोलोमन था, उन्हें कुरान में सुलेमान कहा गया है। वह सिर्फ मानव जाति के ही राजा नहीं थे बल्कि सभी छोटे-बड़े पशु- पक्षी के भी राजा थे, वह इन सबकी भाषा जानते थे। बाइबल और अन्य ग्रंथों में नूह नामक एक पैगम्बर का जिक्र मिलता है जिनका असली नाम लशकर था परन्तु अरब में इन्हें नूह नाम से याद किया जाता है क्योंकि ये पूरी जिंदगी रोते रहे।
भले ही इस संसार की रचना की अलग-अलग कहानियां हों परन्तु इतना तय है कि धरती किसी एक की नहीं है। सभी जीव-जंतुओं, पशु, नदी पहाड़ सबका इसपर समान अधिकार है। बढ़ती हुई आबादी के कारण पेड़ों को रास्ते से हटाना पड़ रहा है जिस कारण फैले प्रदूषण ने पक्षियों को भगाना शुरू कर दिया है। प्रकृति की भी सहनशक्ति होती है, इसके गुस्से का नमूना हम अत्यधिक गर्मी, जलजले, सैलाब आदि के रूप में देख रहे हैं। लेखक की माँ कहती थीं कि शाम ढलने पर पेड़ से पत्ते मत तोड़ो, वे रोयेंगे, दरिया पर जाओ तो सलाम करो, कबूतरों को मत सताया करो और मुर्गे को परेशान मत करो वह अज़ान देता है।
अब लेखक मुंबई के वर्सोवा में रहते हैं पहले यहाँ पेड़, परिंदे और दूसरे जानवर रहते थे परन्तु अब यह शहर बन चुका है। लेखक के फ्लैट में भी दो कबूतरों ने एक मचान पर अपना घोंसला बनाया, बच्चे अभी छोटे थे। लेखक और उनकी पत्नी को इससे परेशानी होती इसलिए उन्होंने जाली लगाकर उन्हें बाहर कर दिया। अब दोनों कबूतर खिड़की के बाहर बैठे उदास रहते हैं परन्तु अब ना सुलेमान हैं न लेखक की माँ जिन्हें इनकी फिक्र हो।
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