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1800-102-2727“बच्चों के प्रिय केशव शंकर पिल्लै” पाठ को “रानी ब्योरा” जी द्वारा लिखा गया है । इस पाठ में केशव जी के जीवनकाल के बारे में बताया गया है । शंकर जी का जन्म त्रिवेंद्रम में हुआ था। शंकर जी को कार्टून बनाने में बहुत रुचि थी। शंकर जी ने अपनी स्वयं की पत्रिका “शंकर्स वीकली” करके भी निकाली थी जो अपने आप में कार्टून से जुड़ी एक अनोखी पत्रिका थी। 1942 में नेहरु जी की सहायता से उन्होंने बाल चित्र कला का भी आयोजन करा था। यह प्रतियोगिता हर साल करवाई जाती थी।
शंकर्स वीकली का बाल विशेषांक हर वर्ष निकलता रहा और प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी। शंकर, चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ढाई साल से सोलह साल तक के बच्चों को स्कूलों में तैयार करते थे , अन्य 100 देश के बच्चे इस प्रतियोगिता में भाग लेते थे । सन् 1970 में 203 देश के लगभग 1 लाख 90 हजार बच्चों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था और 18 देशों के 22 बच्चों ने नेहरू स्वर्ण पदक जीता था। कुल 482 पुरस्कार दिए गए थे। इस प्रतियोगिता का मुख्य प्रयोजन देश विदेश के बच्चों को पास लाना था। केशव शंकर अपने कैंप के माध्यम से पूरे देश के बच्चों को एक जगह मिलने का मौका देना चाहते थे ताकि वह एक दूसरे को जान सकें क्योंकि उस समय टीवी या इंटरनेट नहीं था। नेहरु जी की वजह से इस प्रतियोगिता में सरकारी सहायता भी मिल जाती थी।
गुड़िया के संग्रह करने में शिवशंकर पिल्ले को बहुत रुचि थी। संग्रह करने के लिए वह जगह ढूँढना जहां उन्हें सुरक्षित रखा जा सके, यह ढूंढना भी मुश्किल हो रहा था । शिवशंकर ने गुड़िया का संग्रह भारतीय बच्चों के लिए किया ताकि जिस बच्चे ने विदेशी गुड़िया नहीं देखी तो वो यहां देख लें, इसके साथ ही देश-विदेश की जानकारी उन्हें मिल सके। इसलिए उन्होंने गुड़िया घर की स्थापना की थी । शंकर जी ने चिल्ड्रेन ट्रस्ट की स्थापना भी की थी ।चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट हर साल हजारों पुस्तकों प्रकाशन भी करता था, इन पुस्तकों में भारत की लोकगाथाएँ, पौराणिक कथाओं, पंचतंत्र और हितोपदेश की कहानियां तथा ज्ञान-विज्ञान की कहानियां होती थी । शंकर जी ने बच्चों के लिए बहुत कुछ किया था, जिसकी वजह से वो सभी के प्रिय हो गए थे ।
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