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1800-102-2727जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश की स्वतंत्रता में अनेक वीर योद्धाओं का योगदान रहा है। जिनमें नाना राव पेशवा, तांत्या टोपे, भगत सिंह, अजीमुल्ला सरनाम, अहमदशाह मौलवी, वीर कुँवर सिंह जैसे भारत के वीरों के नाम अग्रणी है।
कुँवर सिंह :- वीर कुंवर सिंह 1657 के विद्रोह के उन महान स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक हैं जिन्होंने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवा दिये थे। वीरकुँवर सिंह बिहार के नगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। उनके पिता का नाम साहबज़ादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। वह इस विद्रोह में सबसे बड़ी उम्र के वीर योद्धा थे। जिन्होंने इतने वृद्ध होने पर भी अंग्रेजों से हार नहीं मानी थी। इन्होंने अपनी सेना में अन्य धर्मो के लोगों को भी स्थान दिया था। इन्होंने धार्मिक सहिष्णुता की बहुत अच्छी मिसाल कायम की। वह वीर, निडर, साहसी, कार्यकुशल, कुशल प्रशासक, कर्तव्यपरायण, चतुर और नीति कुशल राजा थे। वे ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने 80 साल की उम्र में स्वतंत्रता के लिये जमकर लड़ाई की थी, इनके बल और पराक्रम के आगे सभी नतमस्तक हो गये।
कुंवर सिंह का जन्म सन् 1782 में हुआ पिता ने जगदीशपुर पहुँचते ही उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। कुंवर सिंह ने हिंदी, संस्कृत एवं फारसी की शिक्षा प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त कुंवर सिंह को घुड़सवारी, तलवारबाज़ी और कुश्ती में विशेष दिलचस्पी थी। 1827 में पिता की मृत्यु के पश्चात उन्होंने गद्दी संभाली और 1845-46 में अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह में जुड़ गए। 25 जुलाई 1857 को सेना की टुकड़ी का समर्थन कुंवर सिंह को मिला और 27 जुलाई 1857 को कुंवर सिंह ने आरा जीत लिया। उन्होंने 22 मार्च 1858 को आजमगढ़ पर कब्ज़ा किया और अंततः जगदीशपुर भी जीत लिया। 23 अप्रैल को जगदीशपुर में विजय पाने के बाद 26 अप्रैल 1858 में कुंवर सिंह इस दुनिया से विदा हो गए।
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