•  
agra,ahmedabad,ajmer,akola,aligarh,ambala,amravati,amritsar,aurangabad,ayodhya,bangalore,bareilly,bathinda,bhagalpur,bhilai,bhiwani,bhopal,bhubaneswar,bikaner,bilaspur,bokaro,chandigarh,chennai,coimbatore,cuttack,dehradun,delhi ncr,dhanbad,dibrugarh,durgapur,faridabad,ferozpur,gandhinagar,gaya,ghaziabad,goa,gorakhpur,greater noida,gurugram,guwahati,gwalior,haldwani,haridwar,hisar,hyderabad,indore,jabalpur,jaipur,jalandhar,jammu,jamshedpur,jhansi,jodhpur,jorhat,kaithal,kanpur,karimnagar,karnal,kashipur,khammam,kharagpur,kochi,kolhapur,kolkata,kota,kottayam,kozhikode,kurnool,kurukshetra,latur,lucknow,ludhiana,madurai,mangaluru,mathura,meerut,moradabad,mumbai,muzaffarpur,mysore,nagpur,nanded,narnaul,nashik,nellore,noida,palwal,panchkula,panipat,pathankot,patiala,patna,prayagraj,puducherry,pune,raipur,rajahmundry,ranchi,rewa,rewari,rohtak,rudrapur,saharanpur,salem,secunderabad,silchar,siliguri,sirsa,solapur,sri-ganganagar,srinagar,surat,thrissur,tinsukia,tiruchirapalli,tirupati,trivandrum,udaipur,udhampur,ujjain,vadodara,vapi,varanasi,vellore,vijayawada,visakhapatnam,warangal,yamuna-nagar

NCERT Solutions for Class 7 हिंदी वसंत पाठ 12: कंचा

ये कहानी एक बच्चे की है जो स्कूल रहा है और रास्ते में दुकान पर उसे कंचे दिख जाते हैं। वह कंचे लेना चाहता था लेकिन स्कूल की घंटी सुनते ही दौड़ पड़ा स्कूल में देर से आने पर उसे पीछे बैठना पड़ा। उसके सहपाठी, रमन, मल्लिका, अम्मू आदि आगे बैठे थे। जॉर्ज जो उसका सहपाठी था वो आज बुखार होने के कारण स्कूल नहीं आया था वह उसके बारे में सोचने लगा क्योंकि वह कंचे का अच्छा खिलाड़ी था। मास्टर उस समय रेलगाड़ी के बारे में पड़ा रहे थे परन्तु अप्पू कुछ और सोच रहा था। वह कंचे के बारे में सोच रहा था। इतने में मास्टर जी ने एक चॉक का टुकड़ा उसपर फेंका। मास्टर जी उसे डांटने लगे, मास्टर जी उसे देख कर समझ गए की उसका ध्यान कहीं और ही था।

उन्होंने अप्पू से प्रश्न किया जिसका वो जवाब नहीं दे पाया, मास्टर जी ने उसे बेंच पर खड़ा किया। सभी बच्चे हंसने लगे और अप्पू रोने लगा। वह बेंच पर भी खड़े होकर कंचों के बारे में ही सोच रहा था। वह सोच रहा था जॉर्ज आयेगा तो उसके साथ दुकान पर जाएगा। मास्टर जी अपना समय समाप्त कर चले गए। अप्पू अब भी यही सोच रहा था कि कैसे कंचे लिए जाएं। मास्टरजी ने सब बच्चों को फीस जमा करने को कहा। सभी बच्चे फीस जमा करने क्लर्क के पास गए मास्टर जी के कहने पर अप्पू भी बेंच से उतर फीस भरने गया। ज्यादातर बच्चों ने फीस भर दिया लेकिन अप्पू अभी भी कंचे के बारे में सोच रहा था, घंटी बजने पर सब कक्षा में चले आए।

शाम को वह इधर-उधर घुमता रहा और कंचे के मोह में उसी दुकान पर पहुंचकर वह शीशे के जार में रखे कंचो को निहारने लगा। उसने अपनी फीस के एक रुपये पचास पैसे के कंचे खरीद लिए जब वह कंचे लेकर घर आ रहा था तो उसने जैसे ही उन्हें देखने के लिए कागज की पुड़िया खोली तो सारे कंचे बिखर से गए। अब वह कंचो को उठाने लगा उसने अपनी किताबों को निकालकर कंचो को बस्ते में रखने लगा| वह कंचे उठा ही रहा था कि तभी एक गाड़ी आई और वहाँ रुकी गाडी के ड्राइवर को अप्पू पर गुस्सा आया पर उसे खुश देख वह मुस्कुराकर चला गया। जब अप्पू घर गया और कंचे माँ को दिखाये, तो माँ इतने सारे कंचे देखकर हैरान रह गयी।

अप्पू ने माँ से बताया वह फीस के पैसों से खरीद कर लाया है, माँ ने पुछा की अब तुम खेलोगे किसके साथ ? यह कहकर माँ के आँखो में आसू आ गया और वह रोने लगी क्योंकि उसकी एक बहन थी मुन्नी, जो अब इस दुनिया में नहीं रह गयी थी। तभी अप्पू  ने अपनी माँ को देखकर पूछा माँ आपको ये कंचे अच्छे नहीं लगे, माँ अप्पू की खुशी को समझ गयी और बोली बेटा अच्छे हैं। इसपर आँसू से गीले माँ के गाल पर उसने अपना गाल लाड़ में रख  दिया। अब अप्पू के दिल से खुशी झलक रही थी।

 

Talk to our expert

By submitting up, I agree to receive all the Whatsapp communication on my registered number and Aakash terms and conditions and privacy policy