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1800-102-2727यह एक बाल कहानी है जिसमें नटखट बातों के साथ आदर्श सन्देश भी दिया गया है। इस कहानी में दो भाई-बहन केशव और श्यामा हैं। उनके घर के कमरे की खिड़की पर एक चिड़िया अपना घोंसला बना लेती है और कुछ दिन बाद उसमें अंडे भी दे देती है। दोनो बच्चे ये सब देखकर बहुत खुश होते हैं। वे चिड़िया के खाने-पीने के लिये दाना पानी भी रख देते हैं। चिड़िया आराम से घोसलें में आपने अंडों को सेती है और बच्चे भी लगातार अपनी मर्ज़ी से दान-पानी रखते रहते हैं। लेकिन उन बच्चों की इस समझदारी भरी शैतानी के बारे में उनकी माँ को कुछ पता नहीं था, काफी दिन बीत गए लेकिन अंडे में से बच्चे निकले ही नहीं। केशव और श्यामा रोज़ खिड़की के ऊपर देखते पर अंडे वैसे के वैसे ही थे। उनकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। एक दिन दोनो ने चिड़िया के न होने पर घोसलें में रखें अंडों को उठाकर देखा कि वे ठीक है या नही और वहीं पर रख दिया,बाद में उन्हें पता चला कि चिड़िया अपने घोसलें को छोड़ कर चली गयी है। और घोसला भी खिड़की से नीचे गिर गया है जिससे अंडे भी टूट गए। दोनों बच्चों ने यह बाद जाकर अपनी माँ को बतायी तब उनकी माँ ने कहा कि बेटा अगर कोई भी इंसान पक्षियों के अंडों को छू लेता है, तो उसमें मानव की खुशबू आने लगती है। इसके बाद पक्षी अपने ही अंडो को छोड़कर चले जाते हैं। माँ की बातें सुनकर बच्चों ने कहा कि वे अब कभी भी ऐसी गलती नहीं करेंगे।
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